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Nirjala Ekadashi 2022 Date:10 या 11 जून कब है निर्जला एकादशी व्रत? उलझन में न रहें जान लें सही तारीख, समय

Nirjala Ekadashi 2022 Date: निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है. लेकिन इस बार निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है. ऐसे में यदि आप भी यह व्रत रखने जा रहे तो यहां जान लें व्रत रखने की सही तारीख क्या है.

Nirjala Ekadashi 2022 Date: निर्जला एकादशी का व्रत 2022 में कब है इस बात को लेकर लोगों में उलझन की स्थिति बन गई है. आप भी निर्जला एकादशी व्रत की सही तारीख को लेकर कन्फ्यूज हैं तो हम आपको बता रहे हैं इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा. निर्जला एकादशी व्रत को अन्य एकादशी व्रत की अपेक्षा कठिन माना जाता है. हिंदू धर्म में इस एकादशी (Ekadashi) का बेहद खास महत्व है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी के व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों ही प्रकार के तापों के मुक्ति मिल जाती है. आगे पढ़ें निर्जला एकादशी व्रत की सही तारीख क्या है?

निर्जला एकादशी व्रत 2022 कब है? (When is Nirjala Ekadashi Vrat 2022?)

हिंदू पंचांग के मुतबिक निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार निर्जला एकादशी की तिथि (Nirjala Ekadashi Date) को लेकर असमंजस की स्थिति बन है. दरअसल इस बार द्वादशी तिथि के क्षय होने से लोगों में संशय बनी है. इसकी वजह से भक्तों के बीच एकादशी की तिथि को लेकर कंप्यूजन है कि निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून या फिर 11 जून को कब रखें.

निर्जला एकादशी व्रत 2022 सही तारीख (Nirjala ekadashi exact date)

ज्योतिष संजीत कुमार मिश्रा के कहते हैं कि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि 10 जून को सुबह 7 बजकर 27 मिनट तक है. उसके बाद एकादशी तिथि शुरू हो रही है. वहीं 11 जून, शनिवार को एकादशी तिथि सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक है. उसके बाद द्वादशी रात 3 बजकर 24 मिनट है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी. ऐसे में द्वादशी तिथि का क्षय हो रहा है. वहीं 10 और 11 जून दोनों ही दिन एकादशी तिथि पड़ने के कारण व्रत दोनों दिन रखा जा सकता है, लेकिन इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 11 जून 2022 दिन शनिवार को रखना ज्यादा अच्छा और शुभ फलदायी माना जा रहा है.

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निर्जला एकादशी व्रत का महत्व (Importance of Nirjala Ekadashi fasting)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, निर्जला एकादशी व्रत का शाब्दिक अर्थ है बिना पानी पिए उपवास करना. इसलिए, भगवान विष्णु के भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और इस एकादशी तिथि पर पानी तक नहीं पीते हैं. दिलचस्प बात यह है कि निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका नाम पांडव भाई भीम (भीमसेना के नाम से भी जाना जाता है) के नाम पर रखा गया है. ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, भीम का अपनी भूख पर कोई नियंत्रण नहीं था इसलिए उन्होंने सभी एकादशी का फल देने वाले एक निर्जला एकादशी व्रत का पालन किया था.

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