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Navratri 2025 Maha Navami: नवरात्रि की नवमी तिथि पर आज ऐसे करें हवन, जानें कन्या पूजन विधि

Navratri 2025 Maha Navami: नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन भक्त विधिवत हवन कर नौ रूपों की आराधना करते हैं और कन्याओं को भोजन व उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. जानें नवमी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व.

Navratri 2025 Maha Navami: आज 1 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी पर विधिवत हवन, कंजक (कन्या पूजन) और अनुष्ठान करने के बाद ही नवरात्रि का समापन होता है.

मां सिद्धिदात्री पूजा का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:55 से 05:43 तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02:28 से 03:16 तक
  • सायाह्न सन्ध्या – शाम 06:27 से 07:39 तक
  • इस बार अभिजित मुहूर्त उपलब्ध नहीं है.

व्रत पारण का समय

नवरात्रि के 9 दिन का व्रत करने वाले भक्तों को दशमी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत पारण करना चाहिए. इस बार आश्विन नवरात्रि व्रत का पारण 2 अक्टूबर, गुरुवार को किया जाएगा. वहीं, अगर आपने नवरात्रि के पहले दिन और अष्टमी का व्रत रखा है तो नवमी पर हवन और कन्या पूजन के बाद व्रत का समापन कर सकते हैं. व्रत का पारण देवी का प्रसाद ग्रहण करके ही करना चाहिए.

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नवमी पर हवन विधि

  • नवरात्रि की नवमी पर हवन का विशेष महत्व है.
  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • हवन कुंड को साफ करके पवित्र स्थान पर स्थापित करें.
  • पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और गंगाजल का छिड़काव कर देवताओं का आवाहन करें.
  • आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्ज्वलित करें और मंत्रोच्चारण करते हुए आहुति दें –
  • “ऊं आग्नेय नम: स्वाहा” (अग्नि देव)
  • “ऊं गणेशाय नम: स्वाहा” (भगवान गणेश)
  • “ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा” (नवग्रह)
  • “ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा” (कुल देवता)
  • देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए कम से कम 108 आहुतियां दें.
  • अंत में पान के पत्ते पर पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग आदि रखकर आहुति दें.
  • हवन के बाद माता की आरती और भोग लगाकर प्रसाद सभी को वितरित करें.

नवमी कन्या पूजन विधि

नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. हवन के बाद छोटी-छोटी कन्याओं को घर पर आमंत्रित किया जाता है. उन्हें पूड़ी, हलवा और चने का प्रसाद खिलाया जाता है. पूजा के बाद कन्याओं को श्रद्धा अनुसार उपहार या दक्षिणा दी जाती है. मान्यता है कि कन्या पूजन किए बिना नवरात्रि की साधना अधूरी मानी जाती है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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