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Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी पर करें मोरपंख और गीता से जुड़े उपाय, खुलेंगे मोक्ष के द्वार

Mokshada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग में मोक्षदा एकादशी को बेहद पवित्र और शुभ तिथि माना गया है. यह दिन आत्मा को मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ाने वाला होता है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु व श्रीकृष्ण की भक्ति करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. श्रीपति त्रिपाठी से इस दिन कौन से उपाय करने चाहिए.

Mokshada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ती है, ‘मोक्षदा’ का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली, इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. वहीं, इस दिन अगर कुछ उपाय किए जाए, तो व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती है.

कब है मोक्षदा एकादशी

पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग मिलता है.

श्रीमद्भगवद्गीता का करें पाठ

मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती पर श्रीमद्भगवद्गीता का संपूर्ण पाठ करना चाहिए, अगर ऐसा करना मुश्किल है, तो कम से कम 11वें अध्याय का पाठ जरूर करें, इस पवित्र दिन पर किसी मंदिर या ब्राह्मण को भोजन जरूर कराएं और श्रीमद्भगवद्गीता का दान करें, यह उपाय व्यक्ति को ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाता है. भगवान कृष्ण को तुलसी दल मिश्रित मिश्री का भोग लगाएं और भोग लगाते समय गीता के उपदेश का ध्यान मन ही मन करें, या फिर गीता के किसी एक श्लोक का जप करें.

मोरपंख के चमत्कारी उपाय

पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ मोरपंख स्थापित करें, एकादशी के दिन इसे शुद्ध जल से धोकर धूप-दीप दिखाएं, अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो पूजा के बाद उस मोरपंख को उठाकर तिजोरी या धन स्थान पर रख दें, इससे मां लक्ष्मी खुश होती हैं और धन आगमन के द्वार खुलते हैं, घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है.

पूजा विधि और पारण

मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े पहनें, भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें, पूजा में पीले फूल, फल, धूप, दीप और तुलसी पत्र जरूर शामिल करें, कठिन व्रत का पालन करें या फिर केवल फलाहार करें, अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का पारण करें, ऐसा करने से व्रत के पूर्ण फलों की प्राप्ति होती है.

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JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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