Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को बहुत पवित्र माना जाता है. इसे अगहन मास भी कहते हैं, इसलिए इसकी अमावस्या को अगहन अमावस्या भी कहा जाता है. हर अमावस्या अपनी जगह खास होती है, क्योंकि इस दिन स्नान, दान और तर्पण का महत्व बहुत ज्यादा होता है. लेकिन मार्गशीर्ष इसलिए और खास है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि महीनों में वह मार्गशीर्ष हैं. माना जाता है कि गीता का उपदेश भी इसी महीने में दिया गया था, इसलिए इस अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है?
मार्गशीर्ष या अगहन अमावस्या, मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि होती है. साल 2025 में यह अमावस्या 19 नवंबर, बुधवार को पड़ रही है.
- अमावस्या शुरू: 19 नवंबर, सुबह 09:43 बजे
- अमावस्या समाप्त: 20 नवंबर, दोपहर 12:16 बजे
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं से पहले पितरों को खुश करना चाहिए. जैसे श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है, उसी तरह अगहन अमावस्या पर व्रत रखने से भी पितर प्रसन्न होते हैं. अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष हो, संतान सुख न मिल रहा हो, या भाग्य स्थान में राहू नीच का हो, तो इस अमावस्या का व्रत बहुत लाभ देता है. माना जाता है कि इस व्रत से पितर ही नहीं, बल्कि देवता, ऋषि और सभी जीव-जंतुओं की तृप्ति होती है.
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क्यों जरूरी है यह व्रत?
अगर आपको अक्सर लगता है कि आपके काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, या सफलता मिलते-मिलते हाथ से निकल जाती है, तो यह पितरों की नाराज़गी भी हो सकती है. ऐसे में अपनी कुंडली एक बार किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य को जरूर दिखानी चाहिए. सही मार्गदर्शन से समाधान जल्दी मिल सकता है.

