Happy Makar Sankranti 2021, Saraikela News, सरायकेला (शचिंद्र कुमार दाश) : साल का पहला व सरायकेला-खरसावां जिले का सबसे बड़ा त्योहार मकर संक्रांति पर आज गुरुवार को अहले सुबह श्रद्धालुओं ने विभिन्न जलाशयों में आस्था की डुबकी लगायी. मकर संक्रांति का स्नान के बाद लोहड़ी (स्थानीय भाषा में अघीरा) जलाया गया. लोहड़ी (अघीरा) जला कर खास कर बच्चों ने खुशियां मनायीं. इस मौके पर महिला-पुरुष मागे नृत्य कर खुशियां मना रहे हैं.
सूखे पत्ते व पुआल से लोहड़ी (अघीरा) तैयार किया जाता है. इसके बाद तिलकुट व गुड़ पीठा खा कर बड़े से आर्शीवाद लेने की परंपरा है. इसके बाद दान पुण्य कर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई. मकर संक्रांति पर दही-चुड़ा खाने की भी परंपरा है. मकर संक्रांति पर दान-पुण्य करने की भी परंपरा है.
मकर संक्रांति को लेकर घरों के सामने भी कई तरह के आकर्षक रंगोली बनायी गयी है. ग्रामीण क्षेत्रों में जनजातीय बहुल गांवों में मागे नृत्य का आयोजन किया जा रहा है. महिला व पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिला कर मांदर की थाप पर पूरे लय के साथ मागे नृत्य कर रहे हैं
मकर संक्रांति को देवताओं का सूर्योदय माना जाता है. यह पर्व आसुरी (नकारात्मक) विचार को छोड़ कर दैवी (सकारात्मक) विचार को अपनाने का संदेश देता है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है. संक्रांति के साथ सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं.
सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही दिन बड़े और रात छोटी हो जाती है. मकर संक्रांति सूर्योपासना का ऐसा ऋतु पर्व है, जो हमारे लौकिक जीवन को देव जीवन की ओर मोड़ता है. यह पर्व हमारे भीतर शुभत्व व नवजीवन का बोध भरकर हमें चैतन्य, जाग्रत, जीवंत व सक्रिय बनाता है.
Posted By : Guru Swarup Mishra