KBC 17 Viral Video, Ishit Bhatt Controversy: हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 17 में कक्षा 5 के छात्र इशित भट्ट की हरकतों ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी. इशित ने अमिताभ बच्चन से कहा, “मुझे रूल्स समझाने मत बैठना, मुझे पता है,” जिससे दर्शकों में नाराजगी फैली. इस घटना ने साफ तौर पर दिखाया कि बच्चों में आत्मविश्वास होना जरूरी है, लेकिन विनम्रता और शिष्टाचार भी उतनी ही अहम हैं. कई लोगों ने इशित के व्यवहार को असभ्य और अहंकारी बताया, जबकि कुछ ने इसकी जिम्मेदारी पेरेंटिंग पर डाली. हमनें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से इस बारे में पूछा कि आज के दौर के बच्चों को संस्कार और धर्म के प्रति जागरूक कैसे किया जाए.
बच्चों में संस्कार और धर्म का महत्व समझाना हुआ जरूरी
बच्चों में सही संस्कार और नैतिकता विकसित करने में धर्म और मंत्रों का नियमित अभ्यास बेहद प्रभावशाली हो सकता है. हिंदू धर्म में मंत्रों का उच्चारण न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि बच्चों में ध्यान, सकारात्मक ऊर्जा और सहनशीलता भी बढ़ाता है. उदाहरण के लिए, “ॐ गं गणपतये नमः” जैसे सरल मंत्र बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और मानसिक तनाव कम करने में मदद करते हैं. इससे बच्चे अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखना सीखते हैं और मंच या स्कूल जैसी परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं.
मंत्रों का बच्चों पर पड़ता है दोहरा प्रभाव
मंत्रों का प्रभाव बच्चों के जीवन में दो तरह से दिखाई देता है. पहला, यह उन्हें आत्मिक शक्ति और सकारात्मक सोच देता है. जब बच्चे सुबह या शाम को नियमित रूप से मंत्र का जाप करते हैं, तो उनका मन शांत रहता है और वे अपने कार्यों में संतुलन बनाए रख पाते हैं. दूसरा, मंत्र और धार्मिक शिक्षा बच्चों में शिष्टाचार और आदरभाव पैदा करते हैं. माता-पिता के मार्गदर्शन में यह अभ्यास उन्हें अहंकार से दूर रखता है और दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाता है.
बच्चों में आत्मविश्वास और संस्कार का संतुलन
इशित भट्ट की घटना हमें यह याद दिलाती है कि केवल ज्ञान और होशियार होना ही काफी नहीं है. मंच पर और जीवन में सफल होने के लिए आत्मविश्वास के साथ संस्कार और विनम्रता भी जरूरी है. बच्चों पर धर्म और मंत्रों का सही प्रभाव उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, सही व्यवहार सिखाता है और भविष्य में बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है.
माता-पिता की जिम्मेदारी ज्ञान के साथ-साथ धार्मिक संस्कार
अतः माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चों में ज्ञान के साथ-साथ धार्मिक संस्कार और मंत्रों की आदत डालें. यह संयोजन न केवल उनकी बुद्धि और आत्मविश्वास को मजबूत करता है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और आदर के साथ जीवन जीने की शक्ति भी देता है. बच्चों में आत्मविश्वास, शिष्टाचार और धर्म की शिक्षा मिलकर उन्हें सच्ची सफलता और संतुलित जीवन की ओर ले जाती है.
The boy Ishit Bhatt Interrupts Amitabh Bachchan on KBC, Exits with Zero.
— Mr.X (@X_fromIndia) October 12, 2025
While everyone is furiously reacting over this child's behaviour blaming his parents, let me tell you that generation by generation from bad to worse are being born! Analyse yourself with your parents!!! pic.twitter.com/xztIzF5Q1t
KBC 17 का वीडियो हुआ वायरल
कौन बनेगा करोड़पति 17 (KBC 17) में छोटे छात्र इशित भट्ट का अमिताभ बच्चन को बीच में रोकना और ओवरकॉन्फिडेंस दिखाना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया. बच्चे के व्यवहार पर लोग उसके माता-पिता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन क्या कभी हमने खुद के परिवार और संस्कार पर ध्यान दिया है?
Mr.X का कहना बिल्कुल सही है – पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कार और तमीज़ का महत्व कम होता जा रहा है। ऐसे हालात में केवल बच्चों को दोष देना सही नहीं है. हमें अपने व्यवहार और परवरिश को देखकर यह समझना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी कैसी बनेगी.

