Karwa Chauth Paran Rules: करवा चौथ का पर्व विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और माता करवा से अपने पति की सुरक्षा, अच्छी सेहत, लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में खुशहाली की कामना करती हैं. व्रत वाले दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं. इसके बाद सूर्योदय के साथ व्रत शुरू हो जाता है और महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास पर रहती हैं. शाम के समय शुभ मुहूर्त में माता करवा की पूजा-अर्चना और व्रत कथा का पाठ करने के बाद महिलाएं चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करती हैं. इसके बाद वे व्रत का पारण करती हैं यानी व्रत खोलती हैं. व्रत का पारण करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके.
कब करें व्रत का पारण?
इस वर्ष करवा चौथ के दिन चंद्रमा के उदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट बताया गया है. ऐसे में महिलाएं चंद्र दर्शन और अर्घ्य अर्पण के बाद व्रत का पारण कर सकती हैं.
चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?
व्रत का पारण करने से पहले चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद आवश्यक होता है. इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.सबसे पहले एक लोटे में दूध, अक्षत, चीनी और जल मिलाएं.हाथों में पूजा की थाली लेकर पहले चांद की आरती करें, फिर छलनी से चांद का दर्शन करें. इसके बाद लोटे का जल चंद्रमा को अर्पित कर अर्घ्य दें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें.
व्रत का पारण कैसे करें?
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद उसी छलनी से पति का चेहरा देखें, जिससे आपने चांद को देखा था. इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करें और कुछ मीठा खाकर व्रत खोलें. इसके बाद आप सात्त्विक भोजन ग्रहण कर सकती हैं. ध्यान रखें कि इस दिन तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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