Karwa Chauth 2025 Sargi: हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन सुबह सास या परिवार की महिलाएं सरगी देती हैं, जिसमें मीठे पकवान, फल और स्नैक्स शामिल होते हैं. यह विशेष भोजन व्रती को पूरे दिन ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है, ताकि वह निर्जला व्रत आसानी से रख सकें. हम यहां बताने जा रहें हैं करवा चौथ की सरगी का महत्व, साथ ही हम ये भी बताएंगे कि सरगी में किन चीजों को शामिल करना चाहिए.
कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत ?
इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा. व्रत की शुरुआत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से होगी और इसका समापन 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगा.
क्या है सरगी का धार्मिक महत्व ?
करवा चौथ की सुबह महिलाएं व्रत शुरू करने से पहले सरगी का सेवन करती हैं. यह खास भोजन आमतौर पर सास या परिवार की अन्य महिलाएं बनाती हैं. सरगी में मीठे पकवान, फल और कुछ स्नैक्स शामिल होते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को पूरे दिन व्रत रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करना है.
सरगी में शामिल व्यंजन
सरगी में पोषण से भरपूर और स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं, जैसे मठरी, सेवईं, मिठाइयां और ताजे फल. महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार इन व्यंजनों का सेवन कर सकती हैं. यह न केवल करवा चौथ के पर्व को खास बनाता है, बल्कि भारतीय पारंपरिक खानपान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- फल: सेब, केला, नारियल, अनार आदि
- सुखा मेवा: किशमिश, बादाम, काजू, अखरोट
- पकवान और मिठाई: हलवा, घेवर, लड्डू, शकरकंद
- पान-पान सामग्री: पान के पत्ते, सुपारी
- सौभाग्य और शुभ चिन्ह: चने की दाल, हल्दी, सिंदूर
- पानी और नारियल: ऊर्जा और शुद्धता बनाए रखने के लिए
- धार्मिक दृष्टि से सरगी का विशेष महत्व है. इसे खाने से व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रख सकती हैं और यह पति के स्वास्थ्य, लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
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सरगी का शुभ समय (Karwa chauth sargi time)
सरगी को सरल शब्दों में कहें तो यह करवा चौथ व्रत की शुरुआत से पहले खाया जाने वाला स्वादिष्ट और पवित्र भोजन होता है. इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत आरंभ करती हैं. परंपरा के अनुसार, सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले सुबह लगभग 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है.
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