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Karwa Chauth Moon Rise Time 2025: कितने बजे होगा चंद्र उदय? जानें करवा चौथ व्रत के जरूरी नियम

Karwa Chauth Moon Rise Time 2025: करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का दर्शन बहुत अहम माना जाता है. इस दिन व्रत केवल तभी पूरा होता है जब महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य दें और उसकी पूजा करें. जानें इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा कब दिखाई देगा और व्रत में कौन से जरूरी नियम का पालन करना चाहिए.

Karwa Chauth Moon Rise Time 2025: करवा चौथ हिंदू धर्म का एक खास पर्व है, जो सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं.

व्रत की तिथि और समय

इस साल करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार, व्रत 9 अक्टूबर, गुरुवार रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर, शुक्रवार शाम 07:38 बजे तक रहेगा. 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को ही व्रत का पालन किया जाएगा.

कब होगा चन्द्र उदय?

पंचांग के अनुसार इस साल चंद्रमा का उदय रात 08:13 बजे के लगभग होगा. देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में यह समय थोड़ा अलग हो सकता है.

 पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार करवा चौथ की पूजा का शुभ समय 10 अक्टूबर को शाम 05:57 बजे से लेकर शाम 07:11 बजे तक रहेगा. यह समय लगभग 1 घंटा 14 मिनट तक रहेगा, जिसमें सुहागिन महिलाएं विधिपूर्वक पूजा कर सकती हैं.

इतने बजे तक है राहुकाल

करवा चौथ के दिन राहुकाल सुबह 10:41 बजे से 12:08 बजे तक रहेगा. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ या कथा सुनना उचित नहीं माना जाता.

क्या है करवा चौथ के जरूरी नियम?

करवा चौथ का व्रत केवल निर्जला रहना ही नहीं है, बल्कि इसमें कई विशेष नियम और परंपराएं जुड़ी हैं. महिलाएं पूरे दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और पति की लंबी उम्र व वैवाहिक सुख की कामना करती हैं. शाम को घर में या पूजा स्थल पर भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा के साथ तुलसी और करवा की आराधना भी की जाती है. व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य देना है, जिसमें छन्नी में दीपक रखकर पहले चंद्रमा और फिर पति का चेहरा देखा जाता है. कुछ महिलाएं दान-पुण्य जैसे अन्नदान या तुलसी दान भी करती हैं, जिससे व्रत का फल बढ़ता है. इन नियमों का पालन पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और घर में शांति का प्रतीक माना जाता है.

व्रत के दौरान क्या पहनना चाहिए?

व्रती महिलाएं पारंपरिक साड़ी या लहंगा पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं. यह श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है.

व्रत के दौरान पानी पीना या हल्का भोजन करना सही है?

परंपरा के अनुसार पूरे दिन निर्जला रहना जरूरी है. हालांकि स्वास्थ्य कारणों से कुछ महिलाएं हल्का भोजन या पानी ले सकती हैं, लेकिन इससे व्रत का पुण्य कम माना जाता है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

JayshreeAnand
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कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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