Karwa Chauth 2025 Moon Time in Bihar: करवा चौथ हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं का अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद को देखकर व्रत खोलती हैं. चंद्रमा का दर्शन और उसे अर्घ्य देना व्रत के पूर्ण होने के लिए अनिवार्य माना जाता है.
बिहार में चंद्रमा उदय का समय
बिहार में भी करवा चौथ का पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. चंद्रमा का उदय हर शहर में समयानुसार भिन्न होता है. इसके तुरंत बाद महिलाएं चांद को अर्घ्य देंगी और व्रत का पारण करेंगी.
- पटना -07:49 PM
- गया -07:52 PM
- नालंदा -07:48 PM
- नवादा -07:49 PM
- अरवल -07:51 PM
- जहानाबाद -07:51 PM
- शेखपुरा -07:47 PM
- बेगूसराय -07:45 PM
- खगड़िया -07:44 PM
- सहरसा -07:42 PM
- मधेपुरा -8:18 PM
- सुपौल -07:42 PM
- समस्तीपुर -07:46 PM
- दरभंगा -07:44 PM
- मुजफ्फरपुर -07:47 PM
- वैशाली -07:48 PM
- हाजीपुर- 07:48 PM
- शिवहर -07:46 PM
- सीतामढ़ी -07:45 PM
- रोहतास -07:55 PM
- भोजपुर -07:52 PM
- बांका -07:43 PM
- औरंगाबाद -07:54 PM
- जमुई -07:46 PM
- लखीसराय -07:46 PM
- सिवान -07:51 PM
- गोपालगंज -07:50 PM
- बक्सर -07:54 PM
- मुंगेर -8:55 PM
- कटिहार -07:39 PM
- पश्चिम चंपारण -7:46 PM
- पूर्वी चंपारण -7:50 PM
- मधुबनी -07:43 PM
- गोपालगंज -07:50 PM
- सहरसा -07:42 PM
- अररिया -07:38 PM
- किशनगंज -07:36 PM
- पूर्णिया -07:39 PM
सरगी और दिनभर का व्रत
इस दिन सरगी सुबह के समय खाई जाती है, जिसमें फल, मिठाई और सुखा मेवा शामिल होता है. दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाएं शाम के समय पूजा के लिए सजती हैं. चंद्रमा दिखाई देने के बाद महिलाएं जल से अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं. इस अवसर पर परिवार और प्रियजनों के साथ मिलकर प्रसाद बांटना और खुशियां मनाना भी परंपरा में शामिल है.
धार्मिक मान्यता और शुभ लाभ
धार्मिक मान्यता है कि यदि व्रती महिला चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देती हैं और पति के नाम का स्मरण करती हैं, तो उनके वैवाहिक जीवन में सुख, सौभाग्य और पति की लंबी उम्र आती है. इसलिए बिहार के सभी प्रमुख शहरों में समयानुसार चंद्रमा देखने और अर्घ्य देने का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है.
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करवा चौथ के दिन व्रत खोलने का सही समय क्या है?
चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलना चाहिए. जब चांद दिखाई दे जाए, तब जल से अर्घ्य दें और पति के नाम का स्मरण करते हुए व्रत पारण करें.
सरगी कब खाई जाती है और इसमें क्या शामिल होता है?
सरगी सूर्योदय से पहले खाई जाती है. इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, परांठे और हल्का भोजन शामिल होता है, ताकि दिनभर निर्जला व्रत में ऊर्जा बनी रहे.
क्या करवा चौथ का व्रत केवल विवाहित महिलाएं रखती हैं?
परंपरागत रूप से यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं, लेकिन कुछ अविवाहित लड़कियां भी मनचाहा वर पाने की कामना से इसे रखती हैं.
करवा चौथ की पूजा कब की जाती है?
शाम के समय चंद्रमा निकलने से पहले, करवा माता की पूजा की जाती है. महिलाएं करवा, दीपक, मिठाई और पूजा की थाली से पूजा करती हैं.
क्या करवा चौथ का व्रत वैज्ञानिक या धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है?
धार्मिक दृष्टि से यह व्रत सौभाग्य, प्रेम और वैवाहिक स्थायित्व का प्रतीक है. मान्यता है कि इससे पति-पत्नी के संबंध मजबूत होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है.
यदि बादल या बारिश की वजह से चांद नहीं दिखे तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में महिलाएं चंद्रमा की दिशा में देखकर या जल में प्रतिबिंब के रूप में अर्घ्य दे सकती हैं और मन से चंद्रदेव का ध्यान करते हुए व्रत खोल सकती हैं.

