Kali Maa Stotra: महाकाली स्तोत्र देवी काली, जो भगवान शिव की शक्ति स्वरूप पत्नी हैं, की महिमा का वर्णन करता है. यह स्तोत्र माता काली की शक्ति, उनके रूप और आशीर्वाद को समझने का माध्यम है. इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्ति की भावना बढ़ती है, मन को शांति मिलती है.
महाकाली स्तोत्र अर्थ सहित
अनादिं सुरादिं मखादिं भवादिं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
जगन्मोहिनीयं तु वाग्वादिनीयं, सुहृदपोषिणी शत्रुसंहारणीयं।।1।।
अर्थ: महाकाली माता का कोई प्रारंभ और अंत नहीं है. वे देवताओं द्वारा भी नहीं पहचानी जाती हैं. उनका रूप जगत को मोहित करने वाला है, उनकी वाणी महान है, वे अपने भक्तों को पोषित करने वाली और शत्रुओं का संहार करने वाली हैं.
वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली, मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात।।2।।
अर्थ: महाकाली का रूप वाणी को स्तम्भित करने वाला है, उनकी महिमा से कोई भी देवता परिचित नहीं है. वे स्वर्ग प्रदान करने वाली और इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं, वे भक्तों को उनके इच्छित फल प्रदान करती हैं.
तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता, लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते।।3।।
अर्थ: जो भक्त महाकाली की पूजा करते हैं, वे हमेशा कृतार्थ होते हैं और उनका जीवन सशक्त होता है. महाकाली अपने भक्तों के प्रति सदा समर्पित रहती हैं और उनका रूप पवित्र और दिव्य होता है.
जपध्यान पुजासुधाधौतपंका, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द, शरच्चन्द्र कोटिप्रभापुन्ज बिम्बं।।4।।
अर्थ: महाकाली का रूप चिदानंद से भरा हुआ है, वे हंसती रहती हैं और उनका रूप बहुत ही सौम्य और शीतल है. वे शरच्चंद्र के समान अत्यधिक प्रकाशमान हैं, जो आत्मा को शांति और आनंद प्रदान करता है.
मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा, कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया।।5।।
अर्थ: महाकाली का रूप मुनियों और ऋषियों के हृदय में प्रकाशित होता है, वे कभी काले, कभी सफेद, और कभी विचित्र रंगों में प्रकट होती हैं. उनका रूप योग-माया से पूर्ण होता है, जो दिव्य शक्ति का प्रतीक है.
बाला न वृद्धा न कामातुरापि, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं, मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतंयत्।।6।।
अर्थ: महाकाली माता न तो छोटी हैं, न वृद्ध, और न ही कामवासना से प्रभावित हैं. वे परम शक्ति हैं, जिनके रूप को देवता भी नहीं जान पाते. वे सभी के अपराधों को क्षमा करती हैं और सच्चे भक्तों के हृदय में निवास करती हैं.
तवध्यान पूतेन चापल्यभावात्, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
यदि ध्यान युक्तं पठेद्यो मनुष्य, स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च।।7।।
अर्थ: जो व्यक्ति महाकाली का ध्यान करते हुए यह स्तोत्र पढ़ता है, वह सर्वत्र प्रसिद्ध हो जाता है. वह व्यक्ति जीवन में महान कार्य करता है और संसार में उसे सम्मान प्राप्त होता है.
गृहे चाष्ट सिद्धिर्मृते चापि मुक्ति, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।।8।।
अर्थ: जो महाकाली स्तोत्र का जप करता है, उसे घर में आठ सिद्धियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
।। इति महाकाली स्तोत्रम् ।।
महाकाली स्तोत्र पढ़ने के लाभ
- मन को सुकून मिलता है और तनाव कम होता है.
- दुश्मनों से सुरक्षा मिलती है और कार्य में सफलता आती है.
- आंतरिक शक्ति और ऊर्जा का विकास होता है.
- शारीरिक और मानसिक परेशानियों से राहत मिलती है.
- जीवन में समृद्धि, सुख और खुशहाली आती है.
महाकाली स्तोत्र क्या है?
महाकाली स्तोत्र देवी काली को समर्पित एक पवित्र पाठ है, जो उनके शक्ति रूप और आशीर्वाद का वर्णन करता है.
काली स्तोत्र क्यों पढ़ा जाता है?
इस स्तोत्र का पाठ भक्ति बढ़ाने, मन को शांत करने और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है.
काली स्तोत्र कब पढ़ना शुभ होता है?
अमावस्या, काली चौदस या किसी भी शुभ समय में इस स्तोत्र का पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है.
काली स्तोत्र कैसे पढ़ा जाता है?
साफ स्थान पर बैठकर, ध्यान लगाकर और भक्ति भाव से इसे पढ़ा जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Kali Puja 2025: काली पूजा के दिन करें माता काली के इन विशेष मंत्रों का जाप, डर-भय और कष्ट से मिलेगी मुक्ति
यह भी पढ़ें: Kali Puja 2025: दिवाली की आधी रात को क्यों होती मां काली की पूजा? जानें महत्व
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

