Jyotish Upay: सभी व्यक्तियों की इच्छा होती है कि उनका जीवन शांति और सुख से भरा हो, परिवार में खुशियों की भरमार हो, बच्चे सफल हों और जीवन में विलासिता का अनुभव हो. इस बीच, मन में यह विचार आता है कि कब यह सपना साकार होगा. यह सब एक ख्वाब बनकर रह जाता है, और व्यक्ति अपने लिए या अपने परिवार के लिए कुछ विशेष नहीं कर पाता. जन्मकुंडली में कुछ अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण जीवन सही दिशा में नहीं चल पाता, जिससे व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में परेशान रहता है. कार्य में मन नहीं लगता और मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती. इस स्थिति में जन्मकुंडली के किसी ग्रह या स्थान का अनुकूल न होना समस्याओं का कारण बनता है. विशेष रूप से, सूर्य और चंद्रमा ऐसे ग्रह हैं जो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियाँ उत्पन्न करते हैं. जन्मकुंडली में चाहे कितने भी अच्छे योग जैसे गजकेसरी योग या राजयोग बने हों, वे सभी बेकार हो जाते हैं यदि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है.
जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्रमा का अनुकूल न होना
जन्मकुंडली में सूर्य को ग्रहों का प्रमुख माना जाता है. सूर्य एक तेजस्वी ग्रह है, जो जीवन में ऊर्जा का संचार करता है. सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में उच्च शिखर तक पहुंच सकता है और राजयोग की प्राप्ति कर सकता है. यह आत्मा का प्रतीक है और इसके प्रभाव से व्यक्ति गंभीर रोगों से भी उबर सकता है. सूर्य अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और एक क्रूर ग्रह भी है. इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य जन्मकुंडली के किस भाव में स्थित है. सूर्य को प्रसन्न करने के लिए उसके मंत्र का जाप करना, तांबे के बर्तन में गेहूं का दान करना, रविवार को लाल कपड़ा दान करना और गायत्री मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है.
जन्मकुंडली में चंद्रमा का अनुकूल न होना
जन्मकुंडली में चंद्रमा का अनुकूल न होना व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. चंद्रमा के प्रभाव से मन में अशांति बनी रहती है. चंद्रमा भी राजयोग प्रदान करता है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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