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तप, संयम और साधना का समय है ज्येष्ठ मास

Jyestha Maah 2025 spiritual significance: पौष और माघ का तप साधना हो या वैशाख और ज्येष्ठ का तपकर्म, ये महीने ऋतु के माध्यम से तप, साधना और कर्म का संदेश प्रदान करते हैं. जब धरती तपती है, तब व्योम से वर्षा होती है, और जब व्यक्ति तप करता है, तो वह पूर्णता को प्राप्त करता है. ऋतु के साथ जुड़ने और तपने का समय ज्येष्ठ है.

Jyestha Maah 2025: ज्येष्ठ मास का ज्योर्तिमय स्वरूप हमारे जीवन में जागरण लाता है. तप से शक्ति, साधना से संवेदना, कर्म से करुणा और भक्ति से भावना के मूल्यों को हमारे जीवन में ज्येष्ठ मास सशक्त बनाता है. पौष और माघ का तप साधना हो या वैशाख और ज्येष्ठ का तपकर्म हो, ये मास ऋतु के माध्यम से तप, साधना और कर्म का संदेश देते हैं. जब धरती तपती है, तो व्योम से वर्षा होती है, और जब व्यक्ति तप करता है, तो वह पूर्णता को प्राप्त करता है. ऋतु के साथ खुद को जोड़ने और तपने का माह है ज्येष्ठ.

कैसे करता है अंक 8 हमारे जीवन को प्रभावित?

भारतीय जीवन में तप को शाश्वत मूल्यों की प्राप्ति का एक कारण माना गया है. इस कारण से जेठ की राशि वृषभ है, इसलिए यह धरती को अत्यधिक तपाता है. यह तप सभी को अकेले ही साधना पड़ता है. धरती अकेले तपती और टूटती है. मनुष्य और जीव-जंतु, आकुल-व्याकुल रहते हैं. पेड़ और पौधे भी धूप को अवशोषित करते हैं. सबकुछ पकता है – पेड़, टहनी और फल. अंततः आकाश में रूद्रदेव का प्रकोप नार्वेस्टर या लू के रूप में धरती को घेरता है. लेकिन पीछे से मृगशिरा वृषभ का पीछा करती है. वह वृषभ से थोड़ी अधिक तपिश देती है, जिसमें एक आशा छिपी होती है. यदि मृगशिरा में धरती तप जाती है, तो इसका अर्थ है कि धरती को आकाश का भरपूर उपहार मिलेगा. धरती तपकर अपने सभी दोषों और रोगों को बाहर निकाल देती है. मिट्टी के कीड़े-मकोड़े समाप्त हो जाते हैं. इस कारण खेत को थोड़ा कोड़ दिया जाता है, ताकि मृगशिरा की तपिश अंदर तक पहुँच सके. अंदर तक गर्मी पहुँचने पर ही उसमें बारिश की बूंदों को अधिक सोखने की क्षमता विकसित होगी.

जेठ में अत्यधिक गर्मी के कारण पानी की पूजा का विधान है. भारतीय शास्त्रों में इस माह में पानी से संबंधित दो त्योहारों का आयोजन किया जाता है- पहला ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा दशहरा और ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत. भारतीय मनीषियों का संदेश है कि हमें पानी का संरक्षण करना चाहिए, इसे बचाना चाहिए. इसी कारण नदी और तालाब की पूजा-आराधना की जाती है. गंगा नदी को ज्येष्ठ माना गया है. इसलिए दोनों दिन गंगा पूजा का विधान है. भीषण गर्मी के बीच जल की महत्ता और निर्जला एकादशी का महत्व दर्शाता है. जेठ के शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर नौ दिनों तक नवतपा बना रहता है. इसमें अत्यधिक गर्मी पड़ती है. यह तपन जीवन में आर्द्रता लाती है. आर्द्रा नक्षत्र के शेष 15 दिनों में धरती पर वर्षों की संभावनाएँ उत्पन्न होती हैं. ग्रीष्म की तपन के बाद आकाश में बादलों का आगमन जीवन में प्राणों का संचार करता है. अंततः जेठ धरती के साथ मानव मन में मेघ की सुगंध छोड़कर चला जाता है. प्रचंड गर्मी के बाद ही मधुर वर्षों का आनंद अमृत के समान होता है.

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