Jyeshta Month don’ts : हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास वर्ष का तीसरा महीना होता है, जो ग्रीष्म ऋतु के चरम काल का प्रतीक है. यह मास धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें व्रत-उपवास, सेवा, जलदान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है. हालांकि इस मास में कुछ ऐसे कार्य भी होते हैं जिन्हें करने की मनाही होती है, क्योंकि वे आध्यात्मिक हानि, पाप और कष्टदायक फल दे सकते हैं. आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास में किन कार्यों से बचना चाहिए और कौन-से धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए:-

– बाल कटवाना और नाखून काटना वर्जित है
ज्येष्ठ मास के दौरान बाल और नाखून काटना धार्मिक रूप से अनुचित माना गया है, विशेषकर एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन. इस समय शरीर को शुद्ध रखने और तपस्वी जीवन शैली अपनाने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से पुण्य की हानि होती है और मानसिक अशांति भी हो सकती है.
– मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें
ज्येष्ठ मास में मांसाहार, मदिरा, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखना चाहिए. इस मास में पवित्रता और सात्विकता को विशेष स्थान दिया गया है. इन पदार्थों का सेवन शरीर और मन दोनों को दूषित करता है तथा पुण्य कर्मों में बाधा उत्पन्न करता है.
– दोपहर के समय सोना वर्जित
दोपहर में सोना यानी ‘दिवा स्वप्न’ इस मास में वर्जित माना गया है. यह आलस्य, रोग और मानसिक तनाव का कारण बनता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य की तीव्र ऊर्जा के समय निद्रा लेने से शरीर में दोष बढ़ते हैं और मानसिक दुर्बलता आती है.
– पीपल और तुलसी का स्पर्श न करें रात में
ज्येष्ठ मास में रात के समय पीपल और तुलसी के पौधों को स्पर्श करने की मनाही है. यह समय देवताओं के विश्राम का होता है और पौधों की ऊर्जा में भी परिवर्तन आता है. इस समय उन्हें छूने से अनजाने में दोष लग सकता है.
– क्रोध, अपशब्द और विवाद से बचें
इस मास में मानसिक शुद्धता और संयम पर बल दिया जाता है. अतः क्रोध, अपशब्द बोलना, झगड़ा करना या निंदा जैसे कर्मों से बचना चाहिए. ऐसे कर्मों से न केवल पाप बढ़ता है, बल्कि घर की सुख-शांति भी प्रभावित होती है.
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ज्येष्ठ मास केवल तप, दान और उपासना का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और संयम का महीना भी है. इस मास में धार्मिक नियमों का पालन कर जीवन में शुभता, शांति और पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है.