Jitiya Vrat 2025 Paran: हिंदू धर्म में महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत करती हैं. इस वर्ष 14 सितंबर से शुरू हुआ यह व्रत अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. तीन दिनों तक चलने वाला यह कठिन व्रत नवमी तिथि पर पारण के साथ पूरा होता है. नहाय-खाय से आरंभ होकर निर्जल उपवास तक की परंपरा निभाने के बाद आज व्रती माताएं विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भोजन ग्रहण कर व्रत का समापन करेंगी.
जितिया व्रत का पारण
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नवमी तिथि पर सूर्योदय के बाद ही पारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सुबह 6:10 बजे के बाद से महिलाएं शुभ मुहूर्त में व्रत का समापन कर रही हैं. आज के दिन विशेष योग भी बन रहे हैं—सुबह 6:06 से 7:31 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग और 9:05 से 10:38 बजे तक अमृत काल रहेगा.
कैसे किया जाता है व्रत का पारण?
मान्यता है कि जितिया व्रत के अगले दिन पारण के समय माताओं को सबसे पहले स्नान करना चाहिए और घर में पूजा-अर्चना करके भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. इसके बाद व्रत से जुड़ी परंपरागत व्यंजनों का सेवन करके व्रत खोलना चाहिए. यह प्रक्रिया संतान की लंबी आयु और पूरे वर्ष उसकी रक्षा का आशीर्वाद प्रदान करती है.
किन व्यंजनों से होता है पारण?
जितिया व्रत की परंपरा में पारण के लिए विशेष पकवान बनाए जाते हैं. इनमें नोनी का साग, मडुआ की रोटी, दही-चूड़ा, खीर शामिल हैं. कई जगहों पर रागी की तोरई की सब्जी और चावल भी खास तौर पर बनाए जाते हैं. यही व्यंजन इस व्रत के पारण का अभिन्न हिस्सा माने जाते हैं.
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