Jitiya Vrat 2025 Food: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला जितिया व्रत संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है. इसी कारण इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस वर्ष जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को रखा जाएगा.
जितिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और कुशलता की मंगलकामना से किया जाता है. यह पर्व आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा होती है. इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करती हैं और अगले दिन निर्जला उपवास का संकल्प लेती हैं. नहाय-खाय का भोजन पूरी तरह सात्विक होता है और इसमें कुछ खास व्यंजनों को शामिल करना अनिवार्य माना गया है.
मड़आ की रोटी
जितिया व्रत के नहाय-खाय की शुरुआत मड़आ की रोटी से होती है. इसे स्वास्थ्यवर्धक और पवित्र माना गया है. मड़आ की रोटी शरीर को मजबूती देती है और व्रत के दौरान सहनशक्ति बनाए रखने में मदद करती है.
नोनी का साग
नोनी का साग इस दिन का विशेष व्यंजन है. मान्यता है कि जिस तरह नोनी का पौधा विपरीत परिस्थितियों में भी हरा-भरा रहता है, उसी प्रकार इसे खाने से संतान का जीवन हर संकट से सुरक्षित रहता है. धार्मिक दृष्टि से यह व्यंजन शुभ और मंगलकारी माना जाता है.
इस दिन रखा जाएगा जिउतिया व्रत, संतान की लंबी उम्र के लिए मां रखेंगी निर्जला व्रत
दही-चूड़ा
दही-चूड़ा को पवित्र और पचने में आसान माना गया है. यह व्यंजन शरीर को शीतलता देता है और पाचन को दुरुस्त रखता है. नहाय-खाय में इसका सेवन आवश्यक माना जाता है क्योंकि यह उपवास से पहले शरीर को संतुलित ऊर्जा प्रदान करता है.
मौसमी सब्जियां और दाल
सात्विक आहार में मौसमी सब्जियां और दाल भी शामिल होती हैं. ये शरीर को पोषण देने के साथ-साथ धार्मिक परंपराओं का भी हिस्सा हैं.
मिष्ठान्न और ठेकुआ
नहाय-खाय की थाली मिष्ठान्न और ठेकुआ के बिना अधूरी मानी जाती है. ठेकुआ न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि पर्व का पारंपरिक प्रसाद भी है.
जितिया पर्व के नहाय-खाय में शामिल ये व्यंजन केवल भोजन भर नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे धार्मिक मान्यताएं और सांस्कृतिक महत्व जुड़ा है. इन व्यंजनों के सेवन से जहां व्रती महिलाओं को ऊर्जा मिलती है, वहीं संतान की कुशलता और परिवार की समृद्धि की भी कामना पूरी होती है.

