Jititya vrat Dhaga: आज (15 सितंबर) को जितिया व्रत का पारण होगा. इस व्रत को माताएं अपने संतान की सुरक्षा और लंबी आयु के लिए करती हैं. यह व्रत तीन दिनों तक चलता है. जितिया व्रत के पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा है, दूसरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है और तीसरे दिन पारण किया जाता है. व्रत के दौरान पूजा-अर्चना के बाद माताएं अपने संतान की कलाई या गले में जितिया का धागा बांधती हैं. यह धागा दीर्घ आयु, सुख-समृद्धि और माता-संतान के बीच अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है.
कई लोगों के मन में सवाल होता है कि व्रत संपन्न होने के बाद धागे का सही उपयोग क्या है. अक्सर लोग इसे तुरंत उतारकर कहीं फेंक देते हैं, जो गलत है. व्रत पूरा होने के बाद धागा उतारने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है, ताकि भगवान का आशीर्वाद आप पर और आपके संतान पर बना रहे.
जितिया धागा उतारने का सही तरीका
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत पूरा होने के बाद धागे को कम से कम 24 घंटे तक नहीं उतारना चाहिए. 24 घंटे के बाद जब आप धागा उतारें, तो इसे इधर-उधर न फेंकें.
- धागे को किसी पवित्र नदी, तालाब या घर के कुएं में विसर्जित करना चाहिए. ऐसा करने से जीमूतवाहन का आशीर्वाद बना रहता है और संतान की रक्षा होती है.
- इसके अलावा, आप धागे को तुलसी या पीपल के नीचे भी रख सकती हैं, क्योंकि ये पौधे पवित्र माने जाते हैं. यदि नदी या तालाब में डालना संभव न हो, तो इसे इस तरह सुरक्षित स्थान पर रखा जा सकता है.
- धागा आप पूजाघर में भी रख सकती हैं, जिससे बच्चों पर माता का आशीर्वाद बना रहता है. ध्यान रखें कि धागा कभी भी अपवित्र या गंदी जगह पर न रखें और व्रत के बाद इसे अनादर न करें.
यह भी पढ़े: Durga Puja 2025: दुर्गोत्सव के आगमन का संदेश दे रहे सरायकेला-खरसावां में खिले कास के फूल

