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Janmashtami 2020: आरती कुंज बिहारी की… करें कृष्ण जी की ये आरती, पढ़ें या देखें Video

Krishna Janmashtami 2020 Puja Vidhi, Samagri, Muhurat, Aarti, Video: जन्माष्टमी का पर्व देश में तीन दिन मनाया जा रहा है. इस साल 11, 12 और 13 अगस्त को मनाया जा रहा है. श्रीकृष्ण भक्त साल भर इस दिन का बेसब्री से इंतजार करें. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में 12 बजे रात में हुआ था. प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं. जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था.

Krishna ji ki Aarti, Janmashtami 2020 Puja Vidhi, Samagri, Muhurat, Aarti: जन्माष्टमी का पर्व देश में तीन दिन मनाया जा रहा है. इस साल 11, 12 और 13 अगस्त को मनाया जा रहा है. श्रीकृष्ण भक्त साल भर इस दिन का बेसब्री से इंतजार करें. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में 12 बजे रात में हुआ था. प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं. जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था.

इस दिन का महत्व

भगवान श्री कृष्ण ने ही कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है. हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण के भक्त अपने ईष्ट देव को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं. देश-विदेश में श्री कृष्ण के अनेकों भक्त हैं जो इस दिन को खूब धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन आयोजन भी किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण आयोजन नहीं हो पायेगा.

Krishna Ji Ki Aarti

भगवान कृष्ण की आरती (Krishna Aarti)

आरती कुंजबिहारी की, गिरिधर कृष्ण मुरारी की ।

गले में बैजन्तीमाला, बजावैं मुरली मधुर बाला ॥

श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की ।।आरती…।।

गगन सम अंगकान्ति काली, राधिका चमक रही आली।

लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।।

चंद्र-सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की ।।आरती…।।

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।

गगन से सुमन राशि बरसै, बजै मुरचंग, मधुर मृदंग।।

ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।।आरती…।।

जहां से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी श्री

स्मरण से होत मोहभंगा, बसी शिव शीश, जटा के बीच।।

हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।।आरती…।।

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।

चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।।

कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।।आरती…।।

News posted by : Radheshyam kushwaha

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