Gayatri Jayanti 2025: आज 6 जून 2025 को गायत्री जयंती मनाई जा रही है. गायत्री जयंती, मां गायत्री को समर्पित एक प्रमुख हिन्दू पर्व है. उन्हें वेदों की देवी और गायत्री मंत्र की अधिष्ठात्री शक्ति माना जाता है. यह दिन ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक होता है, विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन से अज्ञान का अंधकार और नकारात्मकता दूर होती है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मां गायत्री की पूजा विधि (Gayatri Puja Vidhi)
मां गायत्री की उपासना को सभी परिस्थितियों में कल्याणकारी माना गया है. हालांकि जब यह पूजा शुद्ध मन, श्रद्धा और न्यूनतम कर्मकांडों के साथ विधिवत रूप से की जाती है, तब इसका फल अत्यंत लाभकारी होता है. प्रतिदिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर एक निश्चित स्थान पर, निश्चित समय पर सुखासन में बैठकर नियमित रूप से मां गायत्री की पूजा करनी चाहिए. साथ ही कम से कम तीन बार गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें.
मां गायत्री की पूजा विधि इस प्रकार है
- पंचकर्म से शुरुआत करें: शरीर और मन की पवित्रता के लिए पवित्रीकरण, आचमन, शिखावंदन, प्राणायाम और न्यास करें.
- मां का आह्वान करें: देवी गायत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें और उन्हें श्रद्धा से स्मरण कर उस स्वरूप में अवतरित मानें.
- पूजन सामग्री अर्पित करें: मां को जल, अक्षत, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
- मंत्र जाप करें: आंखें बंद करके मन, वचन और आत्मा से मां का ध्यान करें. फिर तीन माला गायत्री मंत्र का जाप करें, या कम से कम 15 मिनट तक उच्चारण करें. ध्यान रखें, मंत्र का उच्चारण इतना धीमा हो कि पास बैठा व्यक्ति भी उसे न सुन सके, लेकिन आपके होंठ अवश्य हिलते रहें.
- गायत्री पूजा में निष्ठा और नियमितता का विशेष महत्व है. यह साधना न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करती है.
गायत्री जयंती का महत्व
गायत्री मंत्र को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माना गया है. मान्यता है कि गायत्री जयंती के दिन मां गायत्री की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन श्रद्धा से किए गए गायत्री मंत्र के जाप से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि स्वास्थ्य में भी सकारात्मक सुधार देखने को मिलता है.