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गंगा सप्तमी पर दीपदान से मिलता है पुण्य, जानें इसका धार्मिक महत्व

Ganga Saptami 2025: गंगा सप्तमी का उत्सव उसी दिन मनाया जाता है जब मां गंगा ने धरती पर अवतरण किया था. इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लाखों भक्तगण गंगा में स्नान, दान, व्रत और पूजा करके मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि आत्मिक शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी है.

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Ganga Saptami 2025: भारतवर्ष में मां गंगा को नदियों में सबसे पवित्र माना गया है. उन्हें केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक देवी का स्वरूप माना जाता है, जो हर पाप को धो सकती हैं और आत्मा को मोक्ष तक पहुंचाने की शक्ति रखती हैं. हिंदू धर्म में मां गंगा को श्रद्धा, आस्था और तपस्या का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि जब पृथ्वी पापों से बोझिल हो गई थी, तब भगवान शिव की जटाओं से मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं और समस्त पापों को बहा ले गईं.

कब मनाते हैं गंगा सप्तमी का पर्व

गंगा सप्तमी का पर्व ठीक उसी दिन मनाया जाता है जब मां गंगा धरती पर प्रकट हुई थीं. इसलिए इसे गंगा जयंती भी कहा जाता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान, दान, व्रत और पूजन के माध्यम से मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता और मोक्ष की ओर बढ़ने का रास्ता है.

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गंगा सप्तमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

तारीख: शनिवार, 3 मई 2025
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 3 मई को सुबह 7:51 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त: 4 मई को सुबह 7:18 बजे
मुख्य पूजन मुहूर्त: दोपहर 10:58 से 1:38 बजे तक
इस समय के दौरान गंगा स्नान, पूजन और दान का विशेष महत्व होता है.

गंगा सप्तमी का पौराणिक महत्व

  • यह वही दिन है जब राजा भगीरथ की कठिन तपस्या के बाद मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं.
  • भगवान शिव ने मां गंगा के वेग को अपनी जटाओं में समेटा और फिर धीरे-धीरे उन्हें पृथ्वी पर छोड़ा.
  • गंगा का अवतरण सिर्फ एक नदी का जन्म नहीं, बल्कि धरती पर आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रसार माना जाता है.

गंगा सप्तमी पर स्नान और दान का महत्व

  • इस दिन प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों पर गंगा स्नान का विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
  • अगर आप गंगा तट पर नहीं पहुंच सकते, तो घर पर स्नान में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करें.
  • स्नान के बाद तिल, कपड़े, भोजन, जल या दक्षिणा का दान करें. इससे पुण्य कई गुना बढ़ता है.

दीपदान और आरती

  • इस दिन गंगा घाटों पर भव्य दीपदान और मां गंगा की आरती होती है.
  • शाम के समय, हजारों दीप जलाकर गंगा में प्रवाहित किए जाते हैं.
  • शंख की ध्वनि, मंत्रोच्चार और भक्ति भाव से वातावरण बेहद पावन हो जाता है.

गंगा सप्तमी विशेष पूजन विधि

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • मां गंगा का ध्यान करें और “ॐ नमः शिवाय, गंगे नमः” मंत्र का जप करें.
  • घर में या मंदिर में गंगाजल से पूजा करें और फल, फूल, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें.
  • व्रत रखें और दिनभर मां गंगा के नाम का स्मरण करें. गंगा सप्तमी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आत्मा की सफाई, पापों से मुक्ति और मोक्ष की दिशा में एक महान अवसर है. चाहे आप गंगा किनारे हों या घर पर, अगर श्रद्धा सच्ची हो, तो मां गंगा की कृपा हर जगह पहुंचती है.

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