Ganesh Chaturthi Vrat katha: भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को आने वाली गणेश चतुर्थी सभी चतुर्थियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन गणपति बप्पा का जन्मोत्सव मनाया जाता है. आज, 27 अगस्त को, पूरे देश में यह पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, क्योंकि गणेश जी का आगमन घर-घर होता है. दस दिनों तक चलने वाले इस गणेश उत्सव में लोग बप्पा की स्थापना विधि-विधान से करते हैं और श्रद्धा भाव से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है और इस दिन कौन-सी कथा का पाठ किया जाता है? आइए आपको सुनाते हैं गणेश चतुर्थी की पावन कथा.
गणेश चतुर्थी कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार देवी पार्वती स्नान कर रही थीं. उस समय उन्होंने अपने शरीर के उबटन (मैल) से एक बालक की प्रतिमा बनाई और उसमें प्राण प्रतिष्ठित कर दिए. फिर उन्होंने उस बालक को आदेश दिया कि जब तक वे स्नान समाप्त न कर लें, तब तक किसी को भी भीतर प्रवेश न करने दें.
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इसी बीच भगवान शिव वहाँ पहुँचे. जब उन्होंने अंदर जाने की इच्छा जताई तो बालक ने उन्हें रोक दिया. अपने ही पुत्र जैसे उस अज्ञात बालक द्वारा रोके जाने पर शिव जी को क्रोध आ गया. उन्होंने कई बार चेतावनी दी, लेकिन बालक अपने स्थान पर अडिग रहा. अंततः शिव जी ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से उसका मस्तक काट दिया.
यह देखकर माता पार्वती अत्यंत दुखी और क्रोधित हो गईं. उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने का संकल्प कर लिया. माता के रोष को शांत करने के लिए भगवान शिव ने देवताओं को आदेश दिया कि वे उत्तर दिशा की ओर जाकर किसी प्राणी का सिर ले आएँ. वहाँ उन्हें एक हाथी का शावक मिला. देवता उसका सिर लाए और शिव जी ने उसे उस बालक के धड़ से जोड़ दिया. बालक पुनः जीवित हो उठा.
देवी पार्वती प्रसन्न हुईं और भगवान शिव ने उस बालक को “गणेश” नाम देकर आशीर्वाद दिया कि देवताओं और मनुष्यों के सभी मंगल कार्यों में सबसे पहले उनकी पूजा होगी. तभी से गणपति बप्पा को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है.
कहा जाता है कि जिस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था, वह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. तभी से यह दिन “गणेश चतुर्थी” के रूप में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाने लगा.
गणेश चतुर्थी व्रत कथा के लाभ
- विघ्न निवारण: गणेश जी विघ्नहर्ता कहलाते हैं, इसलिए कथा पढ़ने-सुनने से जीवन की बाधाएँ और संकट दूर हो जाते हैं.
- सफलता व शुभारंभ: इस व्रत से कार्यों में सफलता मिलती है तथा नए कार्य का प्रारंभ सहजता से होता है.
- ज्ञान और विवेक: गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, कथा से स्मरण शक्ति बढ़ती है और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है.
- सुख-समृद्धि: व्रत करने से घर-परिवार में शांति, वैभव और आर्थिक उन्नति आती है.
- परिवारिक सौहार्द: सामूहिक रूप से कथा करने से परिवार में प्रेम और एकता बनी रहती है.
- आध्यात्मिक उन्नति: कथा श्रवण से मन शुद्ध होता है और भक्ति-भाव में वृद्धि होती है.
- स्वास्थ्य और दीर्घायु: श्रद्धा पूर्वक व्रत व कथा करने से उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है.
- गणेश जी का विशेष आशीर्वाद: प्रथम पूज्य देवता की कृपा से जीवन के सभी कार्य मंगलमय हो जाते हैं.

