Ekadashi Vrat In September 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. यह दिन आत्मा को शुद्ध करने और मोक्ष की राह पर बढ़ने का अवसर प्रदान करता है. एकादशी तिथि हर चंद्र मास में दो बार आती है—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से जीवन में शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है.
एकादशी व्रत के नियम
पंचांग के अनुसार, व्रती अपनी क्षमता और सुविधा के आधार पर व्रत का संकल्प ले सकते हैं. कोई सिर्फ जल का सेवन करता है, कोई फलाहार करता है और कुछ सामान्य भोजन लेकर व्रत रखते हैं. व्रत शुरू करने से पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन-सा नियम अपनाना है.
सितंबर 2025 की प्रमुख एकादशियां
पार्श्व एकादशी – 3 सितंबर 2025
- माह: भाद्रपद शुक्ल पक्ष
- तिथि आरंभ: 3 सितंबर सुबह 03:53 बजे
- तिथि समाप्त: 4 सितंबर सुबह 04:21 बजे
- पारणा समय: 4 सितंबर दोपहर 01:36 बजे से 04:07 बजे तक
- हरी वसरा समाप्ति: सुबह 10:18 बजे
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
इंदिरा एकादशी – 17 सितंबर 2025
- माह: अश्विन कृष्ण पक्ष
- तिथि आरंभ: 17 सितंबर, रात 12:21 बजे
- तिथि समाप्त: 17 सितंबर, रात 11:39 बजे
- पारणा समय: 18 सितंबर सुबह 06:07 बजे से 08:34 बजे तक
- द्वादशी समाप्ति: 18 सितंबर रात 11:24 बजे
यह एकादशी विशेष रूप से पितरों की शांति और भगवान विष्णु की भक्ति के लिए महत्वपूर्ण है. व्रतधारी पूरे दिन उपवास और प्रभु स्मरण में लीन रहते हैं.
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है. यह व्रत एकादशी तिथि से शुरू होकर द्वादशी तिथि तक चलता है. इस दिन स्नान, पूजा-पाठ, हवन और दान-पुण्य करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि जो भक्त नियमपूर्वक एकादशी व्रत करता है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.
यदि आप आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और मोक्ष की राह पर अग्रसर होना चाहते हैं, तो सितंबर 2025 की पार्श्व एकादशी और इंदिरा एकादशी का व्रत अवश्य करें. भगवान विष्णु की भक्ति से जीवन में सौभाग्य और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है.

