Diwali 2025 Mahalaxmi Stotra: दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, यश और वैभव की देवी माना जाता है. कहते हैं, इस दिन माता की पूजा के समय महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ किया जाए तो माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं. इसलिए इस दिवाली आप भी अपने घर में पूजा के समय लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
महालक्ष्मी स्तोत्र
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवि सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वितः।।
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।
महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना किसने की थी?
माना जाता है कि भगवान इंद्र ने माता लक्ष्मी की आराधना के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की थी.
महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ का धार्मिक महत्व क्या है?
धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति दिन में एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं. जो भक्त रोजाना दो बार इसका पाठ करता है, उसे धन और अन्न की प्राप्ति होती है. वहीं जो तीन बार इसका पाठ करता है, उस पर माता लक्ष्मी हमेशा अपनी कृपा बनाए रखती हैं.
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