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Diwali & Chhath Puja 2020 Date: कब है दिवाली और छठ पूजा, जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और छठ पूजा का महत्व

Diwali & Chhath Puja 2020 Date: नवरात्रि के साथ ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया है. इस बार दशहरा 25 अक्टूबर को है. उसके बाद दीपों के उत्सव का पर्व दिवाली का आगमन होगा. दिवाली के छह दिन बाद छठ का पर्व मनाया जाएगा. दिवाली के दिन धन और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी तथा प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है. छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है.

Diwali & Chhath Puja 2020 Date: नवरात्रि के साथ ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया है. इस बार दशहरा 25 अक्टूबर को है. उसके बाद दीपों के उत्सव का पर्व दिवाली का आगमन होगा. दिवाली के छह दिन बाद छठ का पर्व मनाया जाएगा. दिवाली के दिन धन और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी तथा प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है. छठ पूजा को सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है.

यह पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है. यह त्योहार दिवाली के 6 दिनों के बाद मनाया जाता है और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा पर, सूर्य देव और छठी मइया की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और सुख की प्राप्ति होती है. पिछले कुछ वर्षों में लोक पर्व के रूप में छठ पूजा का महत्व बढ़ रहा है. यही कारण है कि त्योहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

कब है दिवाली 2020

इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 14 नवंबर दिन शनिवार को पड़ रही है. अमावस्या तिथि का प्रारंभ 14 नवंबर की दोपहर में 02 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 15 नवंबर को दिन में 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में दिवाली का त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा.

छठ पूजा का मुहूर्त Chhath Puja 2020 Date and Muhurat

छठ पूजा एक लोक त्योहार है जो चार दिनों तक चलता है. यह चार दिवसीय त्योहार है, जो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है.

20 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय: 17: 25: 26

21 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय: 06: 48: 52

छठ पूजा और छठी मइया का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है. सूर्य प्रत्येक प्राणी के लिए साक्षात उपलब्ध देवता हैं, पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार है. इस दिन सूर्य देव के साथ ही छठी मइया की भी पूजा की जाती है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठी मइया या छठ माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं.

हिन्दू धर्म में छठ माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है. पुराणों में, उन्हें माँ कात्यायनी भी कहा जाता है, जिनकी षष्टी तिथि को नवरात्रि पर पूजा की जाती है. षष्ठी देवी को बिहार-झारखंड की स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा जाता है.

छठ पूजा अर्घ्य विधान

छठ पूजा समग्री को बांस की टोकरी में रखें. साबुत प्रसाद को साबुन में डालें और दीपक को दीपक में जलाएं. फिर, सभी महिलाएं सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए अपने हाथों में पारंपरिक साबुन के साथ घुटने के गहरे पानी में खड़ी होती हैं.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

Prabhat Khabar Digital Desk
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