Choti Diwali 2025: दिवाली का पर्व इस बार 18 अक्टूबर से शुरू हो गया है. पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है. इसके बाद छोटी दिवाली, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाए जाते हैं. इस साल 18 अक्टूबर को धनतेरस, 19 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक निवारण चतुर्दशी और 20 अक्टूबर को दिवाली पर्व मनाया जाएगा.
छोटी दिवाली को क्यों कहते है नरक निवारण चतुर्दशी?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का संहार किया था. नरकासुर ने अपने राज्य में आतंक फैला रखा था और 16 हजार से अधिक स्त्रियों को बंदी बनाकर रखा था. श्रीकृष्ण ने उनका वध कर इन सभी महिलाओं को मुक्त कराया. इस विजय के प्रतीक के रूप में इस दिन को ‘नरक चतुर्दशी’ या ‘छोटी दिवाली’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन दीप जलाने और स्नान-दान करने की परंपरा भी है, जिससे जीवन से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और सुख-समृद्धि आती है.
क्या करें नरक निवारण चतुर्दशी के दिन?
- नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है. परंपरा के अनुसार, स्नान से पहले तिल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए और फिर चिरचिरा (औषधीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों दिशाओं में तीन बार घुमाना चाहिए.
- कुछ जगहों पर अहोई अष्टमी के दिन लोटे में रखे गए पानी को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की प्रथा है. ऐसा करने से नरक में जाने के भय से मुक्ति मिलती है और मन-प्राण दोनों शुद्ध होते हैं.
- स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यमराज से प्रार्थना करना चाहिए. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर यमराज के लिए तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
- इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. ऐसा करने से सौंदर्य, प्रसन्नता और घर में सुख-शांति का वास होता है.
ऐसे मनाएं छोटी दिवाली
छोटी दिवाली के दिन सुबह से ही घर की सफाई और साज-सज्जा की जाती है ताकि माहोल पवित्र बना रहे. इस दिन पुराने और अनुपयोगी सामान को घर से निकालना शुभ माना जाता है. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ दीप जलाएं, जिससे पॉजिटिव एनर्जी आये. मां लक्ष्मी की विधि से पूजा करें और परिवार की खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करें.
नरक निवारण चतुर्दशी महत्त्व
नरक निवारण चतुर्दशी, छोटी दिवाली भी कहा जाता है, ये दिन अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक मानी जाती है. यह तिथि पापों से मुक्ति, अकाल मृत्यु से रक्षा और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाली मानी जाती है. इस दिन यमराज की आराधना का विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति को दीर्घायु और भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
छोटी दिवाली पर कौन-कौन से देवताओं की पूजा की जाती है?
इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी और यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है. कुछ लोग इस दिन यम दीपदान भी करते हैं ताकि अकाल मृत्यु का भय दूर रहे.
क्या छोटी दिवाली पर नए कपड़े या सामान खरीदे जा सकते हैं?
हाँ, इस दिन भी नई चीजें खरीदना शुभ माना जाता है, खासकर मिट्टी के दीये, पूजा सामग्री और सजावट के सामान.
छोटी दिवाली पर कौन-से उपाय करने से लक्ष्मी कृपा मिलती है?
शाम को दीप जलाकर “श्री सूक्त” या “लक्ष्मी मंत्र” का जप करें, घर में सुगंधित धूप या कपूर जलाएं और तुलसी के पास दीपक रखें ये उपाय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं.
क्या छोटी दिवाली पर तेल से स्नान का कोई विशेष महत्व है?
हाँ, सुबह तेल स्नान करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
छोटी दिवाली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे शुरू होगा?
छोटी दिवाली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 19 अक्टूबर 2025 को शाम 5:47 बजे से शुरू होकर रात 9:00 बजे तक रहेगा.
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