Premanand Ji Maharaj: भारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति बड़ों-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करता है, तो यह न केवल उनके प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि हमारे अंदर अहंकार की भावना को भी कम करने में मदद करता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि इससे हमें बुजुर्गों का ज्ञान, अनुभव और सकारात्मक ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हालांकि कई लोगों का यह मानना भी है कि छोटे जब बड़ों के पैर छूते हैं, तो भले ही उन्हें आशीर्वाद मिलता है, लेकिन इससे बड़ों-बुजुर्गों का पुण्य (पुण्यफल) कम होने लगता है या वह उनके बजाय छोटे को मिलने लगता है. इसी संबंध में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से उनके आश्रम में प्रश्न किया.
व्यक्ति ने चरण स्पर्श को लेकर प्रेमानंद जी महाराज से क्या पूछा?
प्रेमानंद महाराज के आश्रम में आए एक व्यक्ति ने उनसे यह सवाल पूछा कि क्या छोटे लोगों से अपने चरण छुआने या उन्हें प्रणाम कराने से हमारा पुण्य कम हो जाता है?
प्रेमानंद महाराज ने चरण स्पर्श को लेकर क्या कहा?
प्रेमानंद महाराज ने व्यक्ति के सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि यदि आप अपनी इच्छा से किसी से चरण छुआते हैं, प्रणाम कराते हैं, या किसी को ऐसा करने के लिए कहते हैं, तो हां, इससे आपका पुण्य कम हो जाता है.
लेकिन यदि सामने वाला व्यक्ति बिना आपकी इच्छा, अपने मन से सम्मान के भाव से आपके चरण स्पर्श करता है, तो आपका पुण्य कम नहीं होता, क्योंकि इसमें आपकी इच्छा शामिल नहीं होती, वह व्यक्ति स्वयं सम्मान प्रकट करने के लिए ऐसा करता है.
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