Budh Pradosh Vrat Katha 2025:भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत आज, यानी 20 अगस्त को मनाया जा रहा है. यदि आप भी यह व्रत रखने वाले हैं, तो इस बुध प्रदोष व्रत कथा का पाठ अवश्य करें. ऐसा माना जाता है कि इस कथा का श्रवण या पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है.
बुध प्रदोष व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था. विवाह के कुछ ही दिन बीते थे कि उसकी पत्नी अपने मायके चली गई. कुछ दिनों बाद वह अपने ससुराल जाकर पत्नी को लेने आया. बुधवार का दिन था, और सास-ससुर ने उसे रोकने की कोशिश की क्योंकि उनका मानना था कि बुधवार को विदाई करना शुभ नहीं होता. लेकिन दामाद ने उनकी बात नहीं मानी और पत्नी के साथ बैलगाड़ी में घर लौटने चला. मजबूरी में सास-ससुर ने अपने जमाई और पुत्री को भारी मन से विदा किया.
ये भी पढ़ें: आज है भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत, नोट कर लें शुभ मुहूर्त
नगर से बाहर पहुँचते ही पत्नी को प्यास लगी. पति पानी लाने गया और पत्नी पेड़ के नीचे बैठ गई. थोड़ी देर बाद जब वह पानी लेकर लौटा, उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी अजनबी पुरुष के साथ हँसते-खेलते बात कर रही थी और उसी लोटे से पानी पी रही थी. क्रोध में वह उसके पास गया, पर आश्चर्यचकित रह गया—क्योंकि वह पुरुष दिखने में बिल्कुल उसके जैसा था. पत्नी भी आश्चर्य में पड़ गई और दोनों में झगड़ा होने लगा.
धीरे-धीरे आसपास काफी लोग इकट्ठा हो गए और सिपाही भी आए. लोगों ने पत्नी से पूछा, “आपका असली पति कौन है?” वह स्तब्ध रह गई. इस समय दामाद ने भगवान शिव से प्रार्थना की—“हे भोलेनाथ! हमारी रक्षा करें. मैंने बड़ी भूल की कि सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को विदाई कर ली. मैं भविष्य में ऐसा गलती कभी नहीं करूंगा.”
जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अचानक गायब हो गया. पति-पत्नी सुरक्षित अपने घर लौट आए. इस घटना के बाद से वे दोनों नियमित रूप से बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत रखने लगे. यही कारण है कि बुध प्रदोष व्रत सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत शुभ और आवश्यक माना जाता है.

