Bridal Mehndi Design : भारतीय शादियों में मेहंदी की रस्म का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है. यह केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि सौभाग्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है. हिंदू धर्म में मेहंदी को शुभता, स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक माना गया है. आइए जानें, शादी की मेहंदी लगवाते समय किन अहम नियमों और बातों का ध्यान रखना चाहिए:-

– शुभ दिन और समय का चयन करें
धार्मिक दृष्टि से शादी की मेहंदी गुरुवार या शुक्रवार के दिन लगवाना अत्यंत शुभ माना जाता है. पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त में मेहंदी की रस्म करने से विवाह जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. कई परिवार “शुभ चौघड़िया” देखकर ही यह रस्म करते हैं.
– मेहंदी में मिलाएं प्राकृतिक तत्व
परंपरा अनुसार, दूल्हा-दुल्हन की मेहंदी में चंदन, कपूर या गुलाबजल मिलाया जाता है. इससे न केवल मेहंदी की खुशबू बढ़ती है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से यह तत्व शुद्धता और ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं. रासायनिक पदार्थों से बचें, ताकि शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध रहें.
– पति का नाम ज़रूर छिपाएं डिज़ाइन में
एक विशेष परंपरा के अनुसार, दुल्हन की मेहंदी में दूल्हे का नाम छुपाया जाता है. इसे ढूंढना शादी की एक प्यारी रस्म बन गई है, लेकिन धार्मिक मान्यता है कि यह जीवनसाथी के बीच प्यार और समझ का प्रतीक होता है.
– लंबी अवधि तक रंग टिके, इसका रखें ध्यान
हिंदू परंपरा में माना जाता है कि दुल्हन की मेहंदी जितनी गहरी और अधिक समय तक टिके, उसका वैवाहिक जीवन उतना ही प्रेमपूर्ण होता है. इसलिए मेहंदी के बाद हाथ-पैरों को कम से कम 6-8 घंटे तक पानी से न धोएं और मेहंदी सूखने पर सरसों के तेल या नींबू-शक्कर का घोल लगाएं.
– रस्म के समय रखें सात्विक माहौल
मेहंदी की रस्म को पूजा या हवन के जैसे सात्विक वातावरण में किया जाना चाहिए. घर में भजन, शंखध्वनि या मंत्रोच्चारण से ऊर्जा बनी रहती है. नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और घर का माहौल शुभ बना रहता है.
यह भी पढ़ें : Bridal Mehndi Design : दुल्हन को भूलकर भी हाथ में नहीं बनवाने चाहिए ये डिजाइन, पड़ता है गलत असर
यह भी पढ़ें : Astro Tips: काली चींटी के आने की ये दिशा बताती है कि आपकी किस्मत चमकने वाली है
यह भी पढ़ें : Kitchen Astrology: इन रंगों से सजाएं रसोईघर, मिलेगा सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा
शादी की मेहंदी केवल सुंदरता का हिस्सा नहीं है, यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है. यदि इन धार्मिक नियमों और रीति-रिवाजों का पालन किया जाए, तो यह विवाह जीवन की शुरुआत को और भी पवित्र और मंगलमय बना देती है.