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Bihar Flood Solution: बिहार में कभी नहीं आयेगी बाढ़, न विदर्भ में पड़ेगा सुखाड़! सरकार की इस योजना से खिलेंगी जिंदगियां, लेकिन खर्चा बड़ा है

Bihar Flood Solution: राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना, बिहार में बाढ़ और विदर्भ में सूखा खत्म करने की क्षमता है. जानें कैसे यह योजना बदल सकती है देश का जल संकट, क्या हैं फायदे और चुनौतियां

Bihar Flood Solution NRLP: हर साल बिहार की नदियां उफान पर आकर लाखों लोगों की जिंदगी तहस-नहस कर देती हैं, तो विदर्भ के खेत सूखे की मार से बंजर हो जाते हैं. यह हमारे देश के दो हिस्सों की महज कहानीभर नहीं है. दरअसल हमारा देश है ही इतना बड़ा कि यहां के अधिकांश हिस्से हर साल बाढ़ और सुखाड़ की चपेट में आ ही जाते हैं. लेकिन अगर देश की सबसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना (NRLP) पूरी तरह लागू हो जाए, तो यह तस्वीर हमेशा के लिए बदल सकती है. यह योजना न सिर्फ बाढ़ और सूखा, दोनों को काबू में लाने का वादा करती है, बल्कि खेती, पेयजल और बिजली उत्पादन में भी क्रांति ला सकती है. हालांकि, इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए अरबों नहीं, बल्कि खरबों रुपये की जरूरत है.

क्या है राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना? (What Is National River Linking Project – NRLP)

यह योजना पहली बार 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पेश की थी. मकसद था- देश की 30 बड़ी नदियों को आपस में जोड़ना, ताकि जिन इलाकों में पानी की भरमार है वहां से पानी की कमी वाले इलाकों तक नहरों, पाइपलाइन और बांधों के जरिये पानी पहुंचाया जा सके. इसमें 14 हिमालयी और 16 प्रायद्वीपीय नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव था.

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राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना क्या है?

बाढ़ और सूखे से एक साथ निपटने का समाधान (Flood & Drought Solution)

बिहार की समस्या: यहां कोसी, गंडक और घाघरा जैसी नदियां हर साल नेपाल के पहाड़ों से भारी पानी लेकर आती हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है.

विदर्भ की समस्या: महाराष्ट्र का यह इलाका माॅनसून पर निर्भर है. बारिश की कमी होते ही यहां अकाल जैसे हालात बन जाते हैं.

NRLP का लक्ष्य है कि बिहार जैसी जगह से अतिरिक्त पानी निकालकर उसे पाइपलाइन और नहरों के जरिये विदर्भ जैसे सूखे क्षेत्रों में पहुंचाया जाए.

कौन-कौन से प्रोजेक्ट शामिल हैं? (National River Linking Project – NRLP Major Projects)

पूरे देश में 30 लिंक प्रोजेक्ट का प्रस्ताव है. इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

केन-बेतवा लिंक (उत्तर प्रदेश–मध्य प्रदेश) – काम जारी

दामोदर-स्वर्णरेखा लिंक (झारखंड-पश्चिम बंगाल-ओडिशा)

घाघरा-यमुना लिंक (उत्तर प्रदेश-बिहार)

गोदावरी-कृष्णा-कावेरी लिंक (दक्षिण भारत में पानी का संतुलन).

राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना – टाइमलाइन (National River Linking Project – NRLP Timeline)

वर्षघटना / प्रगति
2002अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने National River Linking Project की घोषणा की. लक्ष्य – 30 लिंक प्रोजेक्ट्स, 14 हिमालयी और 16 प्रायद्वीपीय नदियों को जोड़ना
2003राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (NWDA) को परियोजना का विस्तृत अध्ययन और डिजाइन बनाने का आदेश
2004परियोजना की अनुमानित लागत लगभग ₹5.6 लाख करोड़ बताई गई (आज के मूल्य पर 50 लाख करोड़ से अधिक). लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बदली, गति धीमी हुई
2005-2013मनमोहन सिंह सरकार में कई बैठकों और रिपोर्टों के बावजूद राज्यों के बीच पानी बंटवारे पर विवाद, पर्यावरण मंजूरी और फंडिंग की कमी से काम रुका रहा
2014मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, NRLP को फिर से एजेंडे में लाया
2016केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को पहली बार प्राथमिकता में रखा गया, DPR (Detailed Project Report) तैयार
2019पर्यावरण मंजूरी और वन्यजीव बोर्ड की स्वीकृति के बाद भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मुआवजा और पुनर्वास के मुद्दे बचे
2021केंद्र, यूपी और एमपी के बीच समझौता हुआ. केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के लिए ₹44,605 करोड़ की योजना स्वीकृत
मार्च 2022प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन-बेतवा परियोजना की आधारशिला रखी
अनुमान – 8 वर्ष में पूरा होगा, बुंदेलखंड में सिंचाई और पेयजल की सुविधा
2023-2025जमीन अधिग्रहण, टेंडरिंग और शुरुआती निर्माण कार्य प्रगति पर. बाकी 29 लिंक प्रोजेक्ट्स अभी सर्वे/योजना स्टेज में.
National River Linking Project Timeline

केन-बेतवा लिंक – पहला कदम (Ken-Betwa River Linking Project)

2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड में केन-बेतवा लिंक की आधारशिला रखी. यह प्रोजेक्ट करीब ₹44,605 करोड़ का है और इससे 62 लाख लोगों को पीने का पानी औरव 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा मिलेगी.

क्या बदल जाएगा अगर योजना पूरी हो गई? (National River Linking Project – NRLP : What Will Change?)

बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ पर नियंत्रण

विदर्भ, बुंदेलखंड, राजस्थान जैसे सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में पानी की स्थायी आपूर्ति

35,000 मेगावॉट तक हाइड्रोपावर उत्पादन की संभावना

खेती में तीन गुना तक उत्पादन बढ़ने की संभावना

पेयजल संकट से जूझते लाखों गांवों को राहत.

लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं (National River Linking Project – NRLP : What Are Challenges)

खर्चा: शुरुआती अनुमान ₹5.6 लाख करोड़ था, जो अब 50 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच सकता है.

राज्यों के बीच पानी बंटवारे पर विवाद.

पर्यावरणीय असर:बड़ी संख्या में जंगल डूबने का खतरा, वन्यजीव प्रभावित होंगे.

जमीन अधिग्रहण: लाखों लोगों का पुनर्वास करना पड़ेगा.

विशेषज्ञ क्या कहते हैं? (National River Linking Project – NRLP : What Experts Say)

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जल संकट का स्थायी समाधान है, जबकि कुछ चेतावनी देते हैं कि इतनी बड़ी इंजीनियरिंग परियोजना में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का खतरा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इतनी बड़ी स्केल की नदी लिंकिंग का सफल उदाहरण बहुत कम है.

अभी कहां तक पहुंचा काम? (National River Linking Project – NRLP : Current Status)

केवल केन-बेतवा लिंक पर वास्तविक काम चल रहा है

बाकी 29 प्रोजेक्ट सर्वे, DPR और राज्यों के बीच समझौते के चरण में हैं

पूरी योजना के पूरा होने में 30-40 साल भी लग सकते हैं.

जल प्रबंधन का सबसे बड़ा गेम-चेंजर (National River Linking Project – NRLP : Water Management Game Changer)

अगर यह योजना पूरी तरह लागू होती है तो बिहार की बाढ़ और विदर्भ का सूखा दोनों इतिहास बन जाएंगे. लेकिन इस सपने की कीमत इतनी बड़ी है कि इसके लिए लगातार राजनीतिक इच्छाशक्ति, फंडिंग और जनसमर्थन की जरूरत होगी. यह प्रोजेक्ट भारत के जल प्रबंधन इतिहास का सबसे बड़ा गेम-चेंजर बन सकता है.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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