Astro Tips: भारत में धर्म और परंपराओं का गहरा नाता है. हर धार्मिक कार्य की शुरुआत में कुछ नियमों और मान्यताओं का पालन करना जरूरी होता है. इन्हीं परंपराओं में से एक है कलावा बांधने की परंपरा. यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि हमारी आस्था, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलावा हमेशा नहीं पहना जाता? अगर समय रहते इसे न हटाया जाए, तो यह शुभ की जगह अशुभ भी बन सकता है.
कलावा बांधने के नियम
धार्मिक शास्त्रों में कलावा बांधने के खास नियम बताए गए हैं. पुरुषों और कुंवारी लड़कियों को इसे दाहिने हाथ में बांधना चाहिए, जबकि विवाहित महिलाओं के लिए इसे बांए हाथ में बांधना शुभ माना गया है. जब भी आप कलावा बांधें, अपने हाथ में एक सिक्का या रुपया लेकर मुट्ठी बंद करें और दूसरे हाथ को सिर पर रखें. फिर मंत्र के साथ कलावा बांधा जाए:
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
कलावा बांधते समय इसे 3, 5 या 7 बार लपेटा जाता है, और फिर हाथ में रखी दक्षिणा उस व्यक्ति को दे दी जाती है जो कलावा बांध रहा हो. ऐसा करने से कलावा का प्रभाव और भी शुभ माना जाता है.
कलावा उतारने के नियम
कलावा केवल बांधने के लिए नहीं होता, समय आने पर इसे उतारना भी उतना ही जरूरी है. शास्त्रों के अनुसार मंगलवार और शनिवार को कलावा उतारना सबसे शुभ माना जाता है. इसे उतारने के बाद पुराने कलावे को किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या बहते पानी में प्रवाहित कर दें. ध्यान रखें, कलावे को कभी भी इधर-उधर न फेंके, क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है.
क्या होता है अगर पुराना कलावा न हटाएं?
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक एक ही कलावा पहनता रहता है, तो इसका असर उल्टा भी हो सकता है. पुराना कलावा धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा खो देता है और उसके उल्टे प्रभाव दिखने लगते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इससे ग्रहों का संतुलन बिगड़ सकता है, जीवन में बाधाएं आने लगती हैं, और कई बार बिना वजह मानसिक तनाव, बीमारी या घर में कलह का कारण भी बन जाता है.
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