Apara Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे व्रत व पूजा के जरिए मनाया जाता है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. 2025 में अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन अगर इस दिन कुछ खास नियमों का पालन न किया जाए, तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है.
अपरा एकादशी के दिन न करें ये कार्य
- चावल का सेवन न करें.
- बाल और नाखून न काटें.
- शैंपू, तेल या साबुन का प्रयोग न करें.
- गलत भावनाएं और गुस्सा न रखें.
- अपमान या वाद-विवाद से बचे.
- ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- शारीरिक संबंध न बनाएं.
- तामसिक भोजन न करें.
- व्रत रखने वाले सोएं नहीं.
- वरिष्ठजनों का अपमान न करें.
इन बातों का पालन क्यों जरूरी है?
चावल का सेवन न करें
एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से पाप लगता है और व्रत का पुण्य नष्ट हो सकता है.
बाल और नाखून न काटें
इस दिन शरीर को काटना-छांटना अशुभ माना जाता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है और व्रत की पवित्रता भंग होती है.
शैंपू, तेल या साबुन का प्रयोग न करें
साधक को इस दिन साधना, पूजा और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. स्नान करते समय साबुन या तेल का उपयोग करना वर्जित होता है.
गलत भावनाएं और गुस्सा न रखें
एकादशी का दिन मानसिक शुद्धता और शांति का होता है. गुस्सा या बुरे विचार रखने से आत्मिक नुकसान होता है.
अपमान या वाद-विवाद से बचें
इस दिन किसी से झगड़ा या बहस करने से न केवल मन अशांत होता है, बल्कि पुण्य भी कम होता है. बड़ों का अपमान करने से भगवान नाराज हो सकते हैं.
ब्रह्मचर्य का पालन करें
यह दिन संयम का प्रतीक होता है. इसलिए ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि व्रत की पवित्रता बनी रहे.
शारीरिक संबंध न बनाएं
अपरा एकादशी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से पुण्य फल में बाधा आती है. यह दिन तप और ध्यान के लिए उपयुक्त होता है.
तामसिक भोजन न करें
लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से दूर रहें. सात्विक भोजन ही करें ताकि मन शांत और स्थिर रहे.
व्रत रखने वाले सोएं नहीं
यह माना जाता है कि व्रत के दौरान दिन में सोने से उसका फल घट जाता है. इसलिए जप, ध्यान और कथा श्रवण में समय बिताना चाहिए.
वरिष्ठजनों का अपमान न करें
बड़ों का सम्मान करना हर दिन जरूरी है, लेकिन एकादशी के दिन यह विशेष फलदायी होता है. अपमान से पाप बढ़ता है.
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