Ahoi Mata Mantra: अहोई अष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत है, जो संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए रखा जाता है. यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि सच्चे मन से व्रत करने पर माता अहोई हर विपत्ति से रक्षा करती हैं और संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं. आइए जानते है पूजा के समय कौन से मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है.
इस मंत्र का करें जाप
अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई की आराधना के लिए “ॐ पार्वतीप्रिय-नंदनाय नमः” मंत्र का विशेष महत्व माना जाता है. श्रद्धा और भक्ति भाव से इस मंत्र का जाप करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है.
कितने बार करें जप?
इस दिन भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस पवित्र मंत्र का 11 माला या 108 बार जप करें. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और संतान से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होता है.
इस मंत्र के जाप से पूरी होती है मनोकामना
कहा जाता है कि यह मंत्र न केवल संतान सुख प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति की हर मनोकामना को भी पूर्ण करने में सहायक होता है. अहोई माता की कृपा से परिवार में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है.
अहोई माता की पूजा कब की जाती है?
पूजा शाम में तारों के उदय के समय की जाती है, जब महिलाएं कथा सुनकर तारों को जल अर्पित करती हैं.
अहोई अष्टमी व्रत का क्या महत्व है?
इस व्रत से संतान की रक्षा होती है, परिवार में सुख-शांति आती है और हर संकट से मुक्ति मिलती है.
अहोई माता की पूजा में क्या चीजें जरूरी होती हैं?
अहोई माता की तस्वीर या दीवार पर बनाई गई आकृति, सूत, जल का कलश, सात अनाज, फल, मिठाई और तारे देखने के लिए थाली का प्रयोग किया जाता है.
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