Adhik Maas 2026: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय संयोग लेकर आ रहा है. इस वर्ष कैलेंडर में ज्येष्ठ महीना दो बार पड़ेगा, जिसके कारण पूरा साल 12 नहीं बल्कि 13 महीनों का होगा. ऐसा दुर्लभ अवसर तब बनता है जब सूर्य और चंद्रमा की गतियों में अंतर बढ़ जाता है और पंचांग के समय चक्र को संतुलित करने के लिए एक अतिरिक्त माह जोड़ा जाता है. इसी अतिरिक्त महीने को अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. ध्यान रहे कि जहां सामान्य कैलेंडर 1 जनवरी से शुरू होता है, वहीं हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है.
क्यों बदलेगी 2026 की महीनों की गणना?
पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह 30 दिनों का नहीं रहेगा. इस बार इसकी अवधि बढ़कर 58 से 59 दिनों तक होगी. यानी एक सामान्य ज्येष्ठ माह और उसके साथ एक अधिक ज्येष्ठ माह पड़ेगा. अधिक ज्येष्ठ को ही अधिकमास कहा जाता है, जो वर्ष में संतुलन बनाने के लिए जोड़ा जाता है. इस दौरान विक्रम संवत 2082 समाप्त होकर 2083 आरंभ होगा, और इसी संवत में अधिकमास का प्रवेश होगा, जिससे कुल 13 महीने बनेंगे. इस योग को अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना जाता है.
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‘पुरुषोत्तम मास’ क्यों कहलाता है अधिकमास?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब यह अतिरिक्त महीना उत्पन्न हुआ था, तो कोई भी देवता इसका स्वामी बनने को तैयार नहीं था. इसे ‘मलमास’ कहकर त्याग दिया गया. तब इस असहाय महीने ने भगवान विष्णु से शरण मांगी. विष्णु जी ने इसकी पीड़ा को समझते हुए स्वयं को इसका स्वामी घोषित किया और इसे ‘पुरुषोत्तम मास’ नाम दिया—अर्थात ऐसा महीना जो सभी महीनों में श्रेष्ठ हो. अधिकमास को आज भी विष्णु उपासना, दान-पुण्य, भक्ति और तप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. वर्ष 2026 का यह दुर्लभ संयोग आध्यात्मिक रूप से बेहद विशेष रहने वाला है.

