स्वराज एक पवित्र शब्द है, जिसका अर्थ है स्वशासन. इसका अर्थ सब प्रकार के संयमों से मुक्ति नहीं है, जैसा प्राय: स्वाधीनता का अर्थ लगाया जाता है. पूर्ण स्वराज यानी अपने सर्वाधिक दीनहीन देशवासियों की स्वतंत्रता. मैं भारत को सभी पराधीनताओं से मुक्त कराने के लिए कटिबद्ध हूं. मुझे एक शासक के स्थान पर दूसरे शासक को लाने की इच्छा नहीं है.
स्वराज से तात्पर्य ऐसी भारत सरकार से है, जो देश की वयस्क जनसंख्या के बहुमत की राय से कामय हो. वयस्कों में स्त्री अथवा पुरुष, यहां जन्मे तथा बाहर से आकर बसे वे सभी लोग सम्मिलित होंगे, जिन्होंने राज्य की सेवा में किसी प्रकार का श्रमदान किया होगा तथा मतदाता के रूप मेें अपने नाम को पंजीकृत कराने का कष्ट उठाया होगा.
सच्चा स्वराज मुट्ठी भर लोगों द्वारा सत्ता-प्राप्ति से नहीं आयेगा, बल्कि सत्ता का दुरुपयोग करने की जनता की सामर्थ्य विकसित होने से आयेगा. स्वराज जनता को सत्ता का नियमन तथा नियंत्रण करने की अपने क्षमता का विकास करने की शिक्षा देने से आयेगा. स्वराज का अर्थ है सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने का सतत प्रयास. स्वराज किसी प्रजातिगत-धार्मिक भेदभाव को नहीं मानता. स्वराज सभी का होगा, पर इसमें भूखे और मेहनतकश करोड़ों भारतवासी शामिल होंगे.
– महात्मा गांधी