21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ईंट का जवाब फूलों से

दैवीय संपदा वाला व्यक्ति अहिंसा का जीवन जीनेवाला होता है. अहिंसा को परम धर्म कहा गया है. मैं किसी को नहीं मारूंगा यह न मारने की भावना जिस व्यक्ति में होती है, वह अहिंसक होता है. अहिंसक व्यक्ति यह सोचता है कि मुझे भले कोई तकलीफ दे दे, परंतु बदले में मैं उसे कोई तकलीफ […]

दैवीय संपदा वाला व्यक्ति अहिंसा का जीवन जीनेवाला होता है. अहिंसा को परम धर्म कहा गया है. मैं किसी को नहीं मारूंगा यह न मारने की भावना जिस व्यक्ति में होती है, वह अहिंसक होता है.

अहिंसक व्यक्ति यह सोचता है कि मुझे भले कोई तकलीफ दे दे, परंतु बदले में मैं उसे कोई तकलीफ नहीं दूंगा. ईंट का जवाब पत्थर से देने की बात कही जाती है, परंतु ईंट का जवाब फूलों से भी दिया जा सकता है. जैन वा्मय का एक सुंदर सूक्त है- आयतुले पयासु अर्थात् सबको अपने समान समझो. जो व्यक्ति सबको अपने समान समझता है, वह सोचता है कि जैसे मुझे कष्ट अप्रिय है, वैसे ही दूसरों को भी कष्ट और अपमान अप्रिय होगा.

जैसे मुझे सम्मान और सुख प्रिय है, वैसे ही दूसरों को भी सम्मान और सुख प्रिय होगा और यह बात वही व्यक्ति सोच सकता है, जिसके भीतर अहिंसा की चेतना जागृत हो गयी है. मैंने एक कसौटी बनायी है कि अगर आदमी के मन में यह संकल्प जाग जाये कि जो व्यवहार मैं दूसरों से नहीं चाहता, वह व्यवहार में भी दूसरों के साथ नहीं करूंगा, तो समझना चाहिए कि वह व्यक्ति अहिंसक वृत्तिवाला है.

अहिंसा प्राणियों के लिए कल्याणकारी होती है. आदमी को कुछ कष्ट झेल कर भी अहिंसा के रास्ते पर चलना चाहिए. आदमी के जीवन में ऐसे मूल्य आयें, जो लोगों के लिए प्रकाश स्तंभ बन सकें. वे मूल्य हैं- अहिंसा, नैतिकता, प्रामाणिकता, अनुकंपा आदि. ये मूल्य यदि जीवन-व्यवहार में आ जाते हैं, तो मानना चाहिए कि जीवन में शांति प्रतिष्ठित हो गयी.

।। आचार्य महाश्रमण ।।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें