पटना : व्यक्ति के जीवन में हो रही छोटी-बड़ी घटनाओं में कुंडली के ग्रहों का बहुत बड़ा हाथ होता है. कुंडली में जिस प्रकार का ग्रह शक्तिशाली होता है, उसी प्रकार के परिणाम भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं. कई बार ऐसा होता है कि अथक मेहनत और परिश्रम के बाद भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी में सफलता नहीं मिलती. सरकारी नौकरी का निर्धारण व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा, अनुभव के साथ-साथ उसकी जन्मकुंडली में बैठे ग्रह योगों के कारण भी होता है. यह कहना है दैवज्ञ श्रीपति त्रिपाठी का. वे प्रभात खबर में आयोजित टेलीकाउंसेलिंग में पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे.
… तो बनता है सरकारी नौकरी का योग
टेलीकाउंसेलिंग के दौरान उन्होंने बताया कि कुंडली में दशम स्थान को कार्यक्षेत्र के लिए जाना जाता है. सरकारी नौकरी के योग को देखने के लिए इसी घर का आकलन किया जाता है. दशम स्थान में अगर सूर्य, मंगल या बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही होती है तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन जाता है. कभी-कभी यह भी देखने में आता है कि जातक की कुंडली के दशम में तो यह ग्रह होते हैं, लेकिन फिर भी जातक को संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में अगर सूर्य, मंगल या बृहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की दृष्टि पड़ रही होती है. तो यह जरूरी है कि आपके यह ग्रह पाप ग्रहों से बचे हुए रहें.