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‘Contract’ पर चल रही इन बच्चों की पढ़ाई! 168 पदों में 48 शिक्षक ही स्थायी, पढ़ें रिपोर्ट

रांची के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा आए दिन उठता रहता है. लेकिन, इन मुद्दों के बीच परेशानी उठानी पड़ रही है बच्चों को. बात अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की करें तो यहां शिक्षकों की 168 पद है. लेकिन, शिक्षकों की संख्या मात्र 48 है.

Dr. Shyama Prasad Mukharjee University: रांची के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा आए दिन उठता रहता है. लेकिन, इन मुद्दों के बीच परेशानी उठानी पड़ रही है बच्चों को. रांची विश्वविद्यालय और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. बात अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की करें तो यहां शिक्षकों की 168 पद है. लेकिन, शिक्षकों की संख्या मात्र 48 है. ऐसे में बच्चों का भविष्य किसके भरोसे है, ये सवाल वहां के बच्चे और छात्रों के परिजन भी पूछ रहे है.

विवि बनने के बाद भी पद नहीं बढ़े

विस्तार से अगर बताए तो साल 2018 से पहले यह रांची कॉलेज हुआ करता था जो कि रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता था. लेकिन, 2018 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया. लेकिन, विश्वविद्यालय बनने के बाद भी यहां शिक्षकों के पद न तो बढ़ाए गए और ना ही उनकी नियुक्ति की गयी. विश्वविद्यालय में कई वोकैशनल कोर्स की शुरुआत की गयी, जिसमें बच्चों से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है, लेकिन सुविधा मूलभूत भी नहीं.

विभाग में 1200 बच्चें, स्थानीय शिक्षक एक भी नहीं

बता दें कि इस विश्वविद्यालय में कॉमर्स विभाग में करीब 12 सौ बच्चे पढ़ाई करते है लेकिन यहां एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है. मात्र तीन से चार शिक्षकों के भरोसे पूरा विभाग चल रहा है. ऐसी ही स्थिति कई अन्य विभागों की भी है जहां पूरा विभाग कन्ट्रैक्चूअल और गेस्ट शिक्षकों के भरोसे चल रहा है. विश्वविद्यालय के प्रबंधन के लोग कहते है कि खाली पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए संबंधित विभाग को आवेदन भेजा जा चुका है लेकिन, इसपर कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है.

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बच्चों को हो रही परेशानी

वहीं, बच्चों का कहना है कि स्थायी शिक्षकों के नहीं होने की वजह से उन्हें कई परेशानियों को झेलना पड़ता है. ना तो सारे क्लास हो पाते है और ना ही लैब में प्रयोग. बच्चों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण एक क्लास में सैंकड़ों बच्चे पढ़ते है जिससे डाउट होने पर सवाल नहीं पूछ पाते है. एक ही शिक्षक दो-तीन विभागों में पढ़ाते है ऐसे में उनसे अलग से सवाल नहीं पूछ पाते है और हमें परेशानी होती है.

Aditya kumar
Aditya kumar
I adore to the field of mass communication and journalism. From 2021, I have worked exclusively in Digital Media. Along with this, there is also experience of ground work for video section as a Reporter.

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