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कोरोना के बाद बढ़ने वाली मानसिक बीमारियों के बारे में कितना जानते हैं आप? देखें कौन-कौन से रोग बढ़े हैं

सिर्फ रांची के सीआईपी में एक लाख लोग इलाज कराने आये. हर दिन करीब 350 मरीज उनके अस्पताल में मानसिक रोगों का इलाज कराने आते हैं. अब तक जितने भी शोध सामने आये हैं, सभी में यही बात कही गयी है कि कोरोना संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना ने करीब डेढ़ साल तक सब कुछ ठप कर दिया था. धीरे-धीरे दुनिया सामान्य तो हुई, लेकिन लोगों का जीवन पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया. सदी की इस सबसे बड़ी महामारी ने कई तरह की मानसिक बीमारियों (Mental Illness) को जन्म दिया. मानसिक रूप से बीमार लोगों की समस्या और बढ़ा दी. एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोनावायरस के संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

कोरोना के बाद 20 से 30 फीसदी बढ़े मानसिक रोगी

जी हां. 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है. इसकी वजह से दबाव मानसिक आरोग्यशालाओं पर भी दबाव बढ़ा है. मानसिक रोगों के इलाज के लिए बने अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ी है. झारखंड की राजधानी रांची स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियैट्री (सीआईपी) के निदेशक प्रो डॉ बासुदेव दास ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद एक साल में करीब एक लाख लोग उनके यहां इलाज करने के लिए पहुंचे.

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सीआईपी में इलाज कराने आये करीब 1 लाख लोग

सही पढ़ा आपने. सिर्फ रांची स्थित सीआईपी में एक लाख लोग इलाज कराने के लिए आये. डॉ दास बताते हैं कि हर दिन करीब 350 मरीज उनके अस्पताल में अलग-अलग मानसिक रोगों का इलाज कराने के लिए आते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक जितने भी शोध सामने आये हैं, सभी में यही बात कही गयी है कि कोरोना संक्रमण के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

मानसिक रोग भी अन्य शारीरिक बीमारियों की तरह : डॉ दास

हालांकि, सीआईपी रांची के निदेशक लोगों को यह भी कहते हैं कि मानसिक रोगों को भी अन्य शारीरिक रोगों की तरह ही समझना चाहिए. इसका इलाज संभव है. कोई भी मानसिक रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है. फिर से सामान्य जीवन जी सकता है. इसके लिए सिर्फ उन्हें खुद पर और अपने डॉक्टर पर विश्वास करना होगा. उन्हें अपना इलाज कराने के लिए अस्पताल आना होगा.

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पैसा खर्च करके भी ठीक नहीं हो पाते मरीज

डॉ दास कहते हैं कि जानकारी के अभाव में लोग या तो इलाज ही नहीं करवाते हैं या झाड़-फूंक, ओझा-गुणी के चक्कर में फंस जाते हैं. इससे उनका इलाज तो नहीं ही हो पाता है, अच्छी-खासी रकम भी खर्च कर लेते हैं. बावजूद इसके वे ठीक नहीं हो पाते. आखिरकार उन्हें डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. तब मरीज और उनके परिजन की परेशानी तो बढ़ ही जाती है, उनका इलाज करने वाले डॉक्टर को भी उन्हें ठीक करने में थोड़ी दिक्कत होती है.

सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर इलनेस जैसी बीमारी बढ़ी

इसलिए जब भी पता चले कि आपको किसी प्रकार का मानसिक रोग हो रहा है या आप उसकी गिरफ्त में आ गये हैं, तो तुरंत किसी साइकियैट्रिक यानी मनोचिकित्सक के पास जायें. आप 100 फीसदी ठीक हो सकते हैं. यह पूछने पर कि कोरोना संक्रमण के बाद जिन बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है, वे कौन-कौन सी बीमारियां हैं, डॉ दास ने बताया कि तनाव, स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन के रोगी बढ़े हैं. बाइपोलर इलनेस, सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी भी बढ़ी है.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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