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पाकिस्तान में बलात्कार पीड़िताओं को देनी होती थी 4 पुरुषों की गवाही, वरना मिलती थी 100 कोड़े की सजा

what is zina : पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के साथ जबरन संबंध बनाना, उनका अपहरण कर धर्म परिवर्तन और निकाह एक बहुत बड़ी समस्या है. समस्या तब और भी गंभीर बन जाती है, जब लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध को कानून का संरक्षण मिल जाए. पाकिस्तान का जिना कानून कुछ उसी तरह का कानून है, जो ना सिर्फ हिंदू बल्कि सभी महिलाओं के लिए डरावना है. 2006 में इस कानून में कुछ संशोधन हुए हैं, लेकिन इस कानून का डर अभी तक बना हुआ है.

what is zina : बलात्कार एक ऐसा अपराध है, जो पीड़िताओं को जितना शारीरिक कष्ट देता है उससे कहीं अधिक उन्हें मानसिक कष्ट देता है. उसपर अगर किसी बलात्कार पीड़िता को यह कहा जाए कि अगर उसके साथ दुष्कर्म हुआ है, तो उसे 4 पुरुषों की गवाही लाकर देनी होगी, तो यह काम उस महिला के लिए ना सिर्फ परेशानी खड़ी करने वाला होगा, बल्कि इस तरह के प्रावधान से बलात्कारी के छूट जाने की आशंका भी बढ़ जाएगी. लेकिन पाकिस्तान में 1979 में हुदूद ऑर्डिनेंस (Hudood Ordinances) लाया गया था, जिसकी वजह से दुष्कर्म पीड़िताओं के दोषियों को तो सजा नहीं हुई, लेकिन पीड़िताएं ही जेल में कैद हो गईं.

क्या है हुदूद ऑर्डिनेंस

पाकिस्तान में सेना द्वारा तख्ता पलट का इतिहास रहा है. 1977 में जनरल जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की चुनी हुई सरकार का तख्ता पलट किया भुट्टो को जेल में फांसी दिलवाई. उसके बाद जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान का इस्लामीकरण करने की ओर कदम बढ़ाया. इस काम को पूरा करने के लिए जनरल जिया उल हक ने हुदूद ऑर्डिनेंस को पास कराया. इस ऑर्डिनेंस में जिना (व्यभिचार/बलात्कार), झूठा आरोप, चोरी और शराब पीना आदि अपराधों को शरीयत के अनुसार परिभाषित किया गया. जिया उल हक ने शरीयत कानून को देश के कानून से ऊपर स्थान दिया था, ताकि देश का इस्लामीकरण किया जा सके.

इस्लाम के अनुसार क्या है जिना

इस्लाम के अनुसार विवाह के बाहर शारीरिक संबंध बनाना अपराध है यानी कोई व्यक्ति अगर विवाहेत्तर संबंध बनाता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर कोई विवाहित व्यक्ति जिना का दोषी पाया जाता है, तो उसे मौत की सजा भी दी जा सकती है. कोई अविवाहित व्यक्ति अगर जिना का दोषी पाया जाता है, तो उसे सौ कोड़े की सजा दी जाती है. इस्लाम में विवाह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था की गई है, ताकि कोई भी स्त्री-पुरुष वैवाहिक संबंधों के बाहर ना जाए.

पाकिस्तान में जिना ऑर्डिनेंस ने क्या कहर बरपाया

पाकिस्तान में जब जिना ऑर्डिनेंस आया तो इसके तहत विवाह के बाहर शारीरिक संबंध को तो गैरकानूनी बताकर उसके लिए सजा की व्यवस्था की ही गई, साथ ही बलात्कार को भी जिना में शामिल कर दिया गया. जब बलात्कार को जिना में शामिल किया गया, तो इसकी पीड़िताओं को बड़ी मुसीबत हो गई, क्योंकि उन्हें अब अपने साथ हुए अपराध को साबित करने के लिए चार पुरुषों की गवाही लानी पड़ती थी, जिन्होंने अपराध को होते देखा हो. जब महिलाएं चार गवाह नहीं जुटा पाती थीं, तो उनपर झूठा केस दर्ज करने का आरोप लगताा था और दोषी की जगह पीड़िता को ही सजा हो जाती थी. 1980 से वर्ष 2000 के बीच पाकिस्तान में हजारों महिलाएं जिना के आरोप के बाद जेल में गई, इनमें वे महिलाएं भी शामिल थीं, जो अपने साथ हुए बलात्कार को साबित नहीं कर सकीं. इस अपराध की शिकार महिलाओं में अल्पसंख्यकों की स्थिति बहुत खराब हुई.

जिना कानून के जरिए हिंदू लड़कियों पर अत्याचार

पाकिस्तान में जिना कानून के जरिए कई बार हिंदू महिलाओं को अन्यायपूर्ण तरीके से फंसाया गया और उन्हें धमकाकर उनका जबरन धर्म परिवर्तन निकाह कराया गया. हिंदू लड़कियों ने अगर बलात्कार की शिकायत की तो उसे साबित करना उनके लिए बहुत कठिन था, जिसकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा. यानी पीड़िता को ही अपराधी बना दिया जाता था. इतना ही नहीं जब हिंदू लड़कियों का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह कराया जाता, तो लड़के के परिवार यह साबित करने के लिए जिना कानून का सहारा लेते थे कि लड़की ने स्वेच्छा से निकाह किया है, ताकि अपराध पर पर्दा पड़ जाए.अगर लड़की विरोध करे या वापस जाना चाहे, तो जिना कानून के तहत उसे ही गैरकानूनी यौन संबंध का दोषी ठहराने की कोशिश की जाती थी. हालांकि 2006 में वुमेन प्रोटेक्शन बिल आया, जिसके बाद जिना कानून से बलात्कार को अलग किया गया है, लेकिन आज भी जिना कानून का डर लोगों में मौजूद है और हिंदू लड़कियां तो आज भी इसका शिकार बन रही हैं.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
Senior Journalist with experience of more than 20 years in Print and Digital Media. Expertise in writing material on the topics of politics , sports and women issues. Fellow of IM4Change, Jharkhand Govt. and Save Children.

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