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Sarada Muraleedharan: काला स्किन कलर बना भेदभाव का प्रतीक, बड़े लोग ही कर रहे टिप्पणी

Sarada Muraleedharan: भारत में रंगभेद पर नई बहस छिड़ गई है. अचानक इस मामले में तेजी केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन के उस बयान के बाद आई है, जो उन्होंने अपने काले रंग को लेकर सोशल मीडिया एक पोस्ट किया है. इस पोस्ट के बाद ये चर्चा हो रही है कि क्या भारत में अभी भी रंगभेद और नस्लीय टिप्पणी हो रही है. क्या भारत में अभी भी ऐसी सोच के लोग हैं?

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Sarada Muraleedharan: केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन 1990 बैच की IAS ऑफिसर हैं. उन्होंने 31 अगस्त 2024 को केरल के मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था. इससे पहले वो अतिरिक्त मुख्य सचिव योजना और आर्थिक मामले के पद पर कार्य करती थी. सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर एक पोस्ट के बाद वो खासा चर्चा में हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर उन यूजर्स पर निशाना साधा है जो उनके सांवले रंग का मजाक उड़ा रहे हैं. उनके काम की तुलना उनके पति से कर रहे हैं. उनके कार्यकाल को लेकर कहा गया है कि वो उतना ही काला है, ये उतना ही काला है जितना कि उनके पति व्हाइट थे.

ये लिखा है फेसबुक पर

शारदा मुरलीधरन ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि मुझे अपने कालेपन को स्वीकार करना होगा. ये बात उन्होंने शुरुआती पोस्ट को हटाने के बाद फिर से लिखी है. उन्होंने लिखा है कि कैसे उनके 7 महीने के कार्यकाल में उनके पति और पूर्व मुख्य सचिव वी वेणु से लगातार उनकी तुलना की गई. लेकिन ये विशेष टिप्पणी और भी ज्यादा चुभ गई, जब यह उनके काले रंग के बारे में कही गई. केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने कहा कि मुझे काला रंग पसंद है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि काला वही है जो काला करता है. काला रंग सुदंरता है और मुझे काला रंग पसंद है. काले रंग को क्यों बदनाम किया जाना चाहिएृ. काला ब्रह्मांड का सर्वव्यापी सत्य है. काला वह है जो किसी भी चीज को अवशोषित कर सकता है. मानव जाति के लिए ज्ञात ऊर्जा की सबसे बड़ी नाड़ी है. यह वो रंग है जो हर किसी पर फबता है. कार्यालय के लिए ड्रेस कोड, शाम के पहनावे की चमक, काजोल का सार, बारिश का वादा काला रंग है. वो लिखती हैं जब मैं चार साल की थी तो मैंने अपनी मां से पूछा था कि क्या वो मुझे वापस अपने पेट में डाल सकती है और फिर मुझे निकाल सकती हैं. एकदम गोरी और सुंदर. मैंने 50 सालों से भी ज्यादा समय तक इस सोच के साथ जिया कि मेरा रंग अच्छा नहीं है? और मैं इस सोच को सही मानती रही. मैंने काले रंग में सुंदरता या मूल्य नहीं देखा.

हरभजन पर भी नस्लीय टिप्पणी का आरोप

हाल ही में क्रिकेट खिलाड़ी हरभजन सिंह ने आईपीएल 2025 की कमेंट्री के दौरान जोफ्रा आर्चर पर नस्लभेदी टिप्पणी की थी. सन राइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के बीच मैच में उन्होंने जोफ्रा आर्चर को ‘काली टैक्सी’ नाम से संबोधित किया था. इस नस्लभेदी टिप्पणी के बाद हरभजन को काफी बाते सुननी पड़ी हैं. उन्होंने कमेंट्री के दौरान कहा कि लंदन में काली टैक्सी का मीटर तेज भागता है और ये यहां पर आर्चर साहब का मीटर भी तेज भाग है. सोशल मीडिया पर हरभजन के इस बयान को लोकर आलोचना जारी है. उनके माफी मांगने के लिए भी कहा जा रहा है. उन्हें कमेंट्री पैनल से भी हटाने की मांग की गई है. इससे पहले हरभजन सिंह 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सिडनी टेस्ट में एंड्यू सायमंड ने हरभजन सिंह पर भी नस्ली टिप्पणी करने का आरोप लगया था. इसमें हरभजन सिंह पर आरोप था कि उन्होंने एंड्यू साइमंड्स को ‘मंकी’ कहा था. इस आरोप के बाद हरभजन सिंह पर तीन टेस्ट मैच का बैन भी लगा था. हालांकि लंबे समय बाद मंकी गेट विवाद खत्म हो गया था और दोनों में दोस्ती हो गई थी. उन्होंने साथ में आईपीएल भी खेला था.

आस्ट्रेलिया में बुमराह के लिए हुई थी टिप्पणी

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरे क्रिकेट टेस्ट मैच के दौरान भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को क्रिकेट कमेंट्रेटर ईसा गुहा ने ‘एमवीपी’ कहने के लिए गलत शब्द का इस्तेमाल किया था. जिस पर उन्होंने अगले ही दिन माफी मांग ली थी. ईसा गुहा इंग्लैंड की ओर से महिला टी-20 विश्व कप जीतने वाली खिलाड़ी हैं. वो फॉक्स स्पोर्ट्स के लिए कमेंट्री करती हैं. उन्होंने अपनी टिप्पणी के अगले दिन ही माफी मांगते हुए कहा था कि मैंने कमेंट्री करते समय एक शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके अलग-अलग अर्थ हैं. मैं किसी भी ठेस के लिए माफी मांगती हूं. मैंने उनकी उपलब्धि को महान दर्शाने का प्रयास किया था, लेकिन उसके लिए गलत शब्द चुन लिया था. मैं भी दक्षिण एशियाई मूल की हूं. इसमें कोई अन्य दुर्भावना नहीं थी.

महात्मा गांधी का संघर्ष

गोरे होने को समय-समय पर उत्कृष्ट होने का प्रतीक माना गया है. सन् 1893 में महात्मा गांधी के साथ दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेदी घटना हुई थी. इसमें उन्हें रेलवे स्टेशन पर एक सहयात्री ने ट्रेन से धक्का देकर इस लिए फेंक दिया था, क्योंकि वो ‘ब्राउन’ थे. यही घटना उनके लिए प्रेरणा बनी और उन्होंने अपना जीवन इसी से निजात पाने के संघर्ष में झोंक दिया था.

‘गोरी चमड़ी काली चमड़ी से अच्छी’

क्रिकेटरों की तरह ही बॉलीवुड में भी काले-गोरे को लेकर विवाद होता रहा है. अभिनेता अभय देओल ने एक बार गोरा बनाने वाली क्रीम के प्रचार को लेकर कई बड़े सितारों पर टिप्पणियां की थी. इसमें उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था कि देश में कई कंपनियां इस आइडिया को बेच रही हैं कि गोरी चमड़ी काली चमड़ी से अच्छी होती है. लेकिन ये अपमानजनक, फर्जी और नस्ली है. बॉलीवुड में गोरे-काले का विवाद अमेरिका में अफ्रीकी अमेरिकी मूल के जॉर्ज फ्लॉयड नाम के युवक की हत्या के बाद आया था. 25 मई 2020 को हुई इस हत्या के बाद अभय देओल ने गोरा बनाने वाली क्रीम का प्रचार को लेकर सवाल खड़े किए थे.

बीजेपी सांसद ने दिया था विवादित बयान

बीजेपी सांसद तरुण विजय भी नस्लभेदी टिप्पणी करने में फंस चुके हैं. उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि भारतीयों को नस्लभेदी नहीं कहा जा सकता है, क्यों वो दक्षिणी राज्यों में रहने वालों के साथ रहते हैं. उनके इस बयान के बाद विपक्ष ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया था और तरुण विजय के खिलाफ राजद्रोह के मामले में एफआईआर कराने की मांग की थी. इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि जाति, नस्ल, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. तरुण विजय ने भी अपने बयान पर माफी मांगी थी.

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