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Mughal Queens: मुगल साम्राज्य की शाही महिलाएं, महल से दो कमरे के मकान तक

Mughal Queens: मुगल साम्राज्य सिर्फ बाबर, हुमायूं,अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब से लेकर अंतिम शासन बहादुरशाह जफर तक ही सीमित नहीं था. मुगल शासकों के परिवार की महिलाओं को भी खासा नाम मिला है. नूरजहां, मुमताज महल हो या फिर जहांआरा और रोशनआरा, सभी का मुगल साम्राज्य में दखल रहा है. इन महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से इतिहास में नाम दर्ज कराया. हालांकि वर्तमान में मुगल वंश जीवित महिला सुल्ताना बेगम गरीबी में जीवन जीने को मजबूर है.

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Mughal Queens: भारत में मुगल वंश की शुरुआत 1526 में जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर ने की थी. इसके बाद औरंगजेब के समय 1707 तक ये अपने पूरे शबाब पर रहा. इस दौरान इस वंश की महिलाओं ने भी अपनी-अपनी काबिलयत के अनुसार कला, साहित्य, राजनीति में अपना योगदान बनाए रखा. इनमें से एक मुमताज महल और शाहजहां की प्रेमकहानी को सभी जानते हैं. लेकिन शाही खानादान की कई अन्य महिलाएं भी मुगल शासकों की तरह चर्चा में रही हैं.

नूरजहां

नूरजहां मुगल बादशाह जहांगीर (1605-1627) की बेगम थी. वो पति की मौत के बाद जहांगीर के हरम में नौकरी करती थी. यहीं उसकी जहांगीर से मुलाकात हुई थी. इसके बाद दोनों ने निकाह कर लिया. नूरजहां ने अपनी काबलियत से मुगल दरबार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभायी थी. उसकी ताकत का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है, वो इकलौती मुगल महारानी थी, जिनके नाम पर सिक्के बने थे. इतिहासकारों के अनुसार नूरजहां का जहांगीर के फैसलों में भी दखल था. उसके पिता व भाई मुगल दरबार में उच्च पदों पर थे. पहले पति से पैदा हुई बेटी की शादी उसने जहांगीर के बेटे शहरयार से कराई थी. जहांगीर के बेटे खुर्रम (शाहजहां) के विद्रोह को दबाने में भी नूरजहां की भूमिका रही थी.

मुमताज महल

मुमताज महल और शाहजहां की प्रेमकहानी का प्रतीक ताजमहल विश्व भर में प्रसिद्ध है. शाहजहां का शासनकाल 1628 से 1657 तक रहा. मुमताज महल नूरजहां के भाई आसफ खां की बेटी थीं. वो अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थीं. इतिहास के पन्नों में मुमताज महला का नाम अर्जुमंद के नाम से दर्ज है. शाहजहां ने शादी के बाद उसे मुमताज महल नाम दिया था. शाहजहां अपनी सभी पत्नियों में से मुमताज पर सबसे ज्यादा भरोसा करते थे. इसलिए शाही मुहर भी उसके पास ही रहती थी. एक सैन्य अभियान में गर्भवती मुमताज महल भी शाहजहां के साथ ही थी. इसी दौरान उन्होंने 14वें बच्चे का जन्म दिया और उसकी मौत हो गई. पत्नी के वियोग में डूबे शाहजहां ने उसकी याद में ताजमहल बनवाया और उसे वहां मकबरा भी बनाया. आज ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शामिल है.

जहांआरा

शाहजहां और मुमताज महल की दो बेटियों जहांआरा-रोशनआरा ने भी मुगल साम्राज्य में अपनी दखल बनाकर रखी. शाहजहां जहांआरा को बहुत प्यार करते थे. मुमताज महल की मौत के बाद उसे ही शाही मुहर सौंपी गई थी. उसे मुगल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में जाना जाता था. 1657 में शाहजहां के बीमार होने पर उसने उत्तराधिकार की लड़ाई में दाराशिकोह का साथ दिया. जब औरंगजेब ने शाहजहां को नजरबंद किया, तब जहांआरा ने अपने पिता का साथ दिया. वह शाहजहां की मौत तक आगरा के किले में रही. इसके बाद औरंगजेब से जहांआरा की सुलह हो गई.

रोशनआरा

रोशनआरा शाहजहां-मुमताज महल की तीसरे बेटी थी. उसे कविताएं लिखना पसंद था. रोशनआरा ने उत्तराधिकार की लड़ाई में छोटे भाई औरंगजेब का साथ दिया था. जब औरंगजेब के हाथ में सत्ता आई तो रोशनआरा को पादशाह बेगम (मुगल साम्राज्य की पहली महिला) होने का सम्मान मिला. हालांकि बाद में जहांआरा से औरंगजेब की सुलह हो गई और ये पदवी रोशनआरा से छीनकर जहांआरा को दे दी गई. वर्तमान में उत्तरी दिल्ली में रोशनाआर को नाम से एक बाग भी है.

रुकैया बेगम

रुकैया बेगम सम्राट अकबर की चचेरी बहन थीं. बाद में वो उनकी पहली पत्नी बनी. चौदह साल की उम्र में उसकी अकबर से शादी हो गई थी. वह निःसंतान थी, इसके बाद उन्होंने पोते खुर्रम का पालन-पोषण किया. जो बाद में शाहजहा के नाम से जाना गया. रुकैया बेगम मुगल दरबार में जान-ए-कलां के नाम से जाना जाता था.

गुलबदन बेगम ने लिखा हुमायूं नामा

गुलबदन बेगम ‘हुमायूं-नामा’ की लेखिका थी. भाई हुमायूं के शासनकाल का उन्होंने वर्णन किया है. जो एक ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में माना जाता है. मुगल दरबार में साहित्यिक पहचान के रूप में ज़ेब-उन-निशा का नाम लिया जाता है. वह कविताएं लिखती थी. यही नहीं वह कवियों और विद्वानों को प्रोत्साहित करती थी. जेब-उन-निशा को पिता ने कारावास में भी डाला था. इसी तरह बिलकिस मकानी जहांगीर की पत्नी और पांचवें मुगल सम्राट शाहजहां की मां थीं. वो वह मारवाड़ की एक राजपूत परिवार की राजकुमारी थी. जहांगीर से उनका विवाह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक गठबंधन था. जिसने मुगलों और राजपूतों के बीच संबंधों को मजबूत किया. जहांगीर ने उन्हें बिलकिस मकानी की उपाधि दी. जिसका अर्थ ‘पवित्र निवास की महिला’ है. हमीदा बानू बेगम बादशाह अकबर की मां थी. वो बेटे को सलाह देकर साम्राज्य की जटिलताओं को समझने में मदद करती थीं. मुगल साम्राज्य को मजबूत करने में उनकी खास भूमिका रही.

मरियम उज़ ज़मानी उर्फ जोधाबाई

मरियम उज ज़मानी उर्फ जोधाबाई अकबर की मुख्य और प्रमुख हिंदू पत्नी के रूप में जानी जाती थी. राजनीतिक गठबंधनों के कारण उनकी शादी अकबर से हुई थी. जोधाबाई अपनी सुंदरता, शालीनता, बुद्धिमत्ता, राजनीतिक मामलों में सलाह के लिए जानी जाती थी. वो जहांगीर की मां थी और शाहजहां की दादी के रूप में जानी जाती थी.

सुल्ताना बेगम

मुगल वंश की महिलाओं को जहां एक तरफ उनकी सुंदरता, विद्वता और ताकत के लिए जाना जाता रहा है. वहीं एक स्याह पक्ष ये भी है कि वर्तमान के इस वंश की जीवित महिला बहुत मुश्किल जीवन जी रहा है. मुगल वंश के अंतिम शासक बहादुरशाह जफर की परपोती कही जाने वाली सुल्ताना बेगम इस समय पश्चिम बंगाल के हावड़ा में दो कमरों में रहती हैं. सुल्ताना की शादी प्रिंस मिर्जा बख्त से हुई थी. 1980 में प्रिंस की मौत के बाद सुल्ताना के खराब दिन शुरू हो गए. वो वर्तमान में छह बच्चों के साथ गरीबी में दिन बिता रही हैं. उन्हें 6000 रुपये पेंशन मिलती है. जिससे वो जीवन यापन कर रही हैं. इसी तरह बहादुर शाह जफर द्वितीय की रानी जीनत महल को भी शाही शान-ओ-शौकत की जगह सामान्य जीवन जीना पड़ा था.

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