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Mughal Harem Stories 3 : मुगल हरम की दीवारें अनगिनत राज को छिपाए बैठी थीं. उन्हीं राज में एक यह भी था कि मुगल हरम की कई महिलाओं ने बादशाह पर अपने हुस्न के जरिए कब्जा किया और मुगल प्रशासन को अपने हाथों में रखने की जुर्रत की. चूंकि मुगल राजा उनकी गिरफ्त में इस कदर फंस हुए थे कि वे उससे बाहर नहीं निकल पाए और शासन इन बेगमों ने ही संभाला. ऐसी बेगमों में पहला नाम नूरजहां का दूसरा मुमताज महल का है. वहीं जहांआरा और रोशन आरा हरम की सबसे शिक्षित और बुद्धिमान महिलाओं में से एक थीं, जिनका लोगों पर अच्छा–खासा प्रभाव था.
इतिहासकार किशोरी शरण लाल अपनी किताब The Mughal Harem में लिखते हैं कि मुगल हरम के इतिहास में चार ऐसी शख्सियतें हैं, जो सबका ध्यान आकृष्ट करती हैं इनके नाम हैं–नूरजहां, मुमताज महल, जहांआरा और रोशन आरा. ये चार महिलाएं मुगल नारी आदर्श की सर्वोत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करती थीं. उन्होंने सत्रहवीं शताब्दी में हरम को आकर्षण और शान प्रदान की. इन सबमें सबसे शानदार व्यक्तित्व था नूरजहां का.
कौन थी नूरजहां बेगम?
नूरजहां जहांगीर की पत्नी थी और उसके हुस्न के चर्चे हमेशा हुए. नूरजहां का असली नाम मेहर-उन-निसा था. मेहर –उन–निसा की शादी 17 साल की उम्र में फारस के एक अधिकारी से हुई थी. उसने इस शादी में एक बेटी को भी जन्म दिया था. मेहर उन निसा का पति एक मुठभेड़ में मारा गया, तो जहांगीर ने उसके परिवार को आगरा बुला लिया था, जहां उसने मेहर उन निसा को महारानी की दासी बना दिया और उसके पिता को दरबार में काम दिया. इसी दौरान एक दिन उसने बाजार में मेहर उन निसा को देखा और उसके रूप पर मोहित हो गया और उससे शादी कर ली. कई इतिहासकार यह भी मानते हैं मेहर उन निसा को जहांगीर बचपन से जानता था और उसके प्रेम में भी था. यही वजह है कि जहांगीर ने उसके पति को मरवा दिया और उससे शादी की. मुगले आजम फिल्म में जिस अनारकली को दिखाया गया है, उसी को नूरजहां बताया जाता है, जिसकी शादी अकबर ने फारस के एक अधिकारी से करवा दी थी. हालांकि यह सच प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में उसके पति का जिक्र किया है. समकालीन लेखकों ने भी इस बात का जिक्र कहीं नहीं किया है कि जहांगीर ने मेहर उन निसा के पति की हत्या करवाई.
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नूरजहां का हुस्न और जहांगीर की बीमारी
नूरजहां के जीवनी लेखक बेनी प्रसाद उसकी हुस्न का वर्णन करते हुए लिखते हैं –अंडाकार चेहरा, बंद होंठ, विस्तृत माथा और बड़ी नीली आंखें नूरजहां की पहचान थी. 1611 में नूरजहां और जहांगीर की शादी हुई, यह पहली नजर के प्यार का मामला था. जहांगीर और नूरजहां की जब शादी हुई तो वह 34 साल की थी और जहांगीर 42 साल का था.
नूरजहां एक कुशल प्रशासक और फैशनपरस्त महिला थी
नूरजहां से शादी के बाद जहांगीर अपना पूरा समय हरम में ही बीताता था. नूरजहां को उसने पहले नूरमहल की उपाधि थी और बाद में नूरजहां. यानी दुनिया की रौशनी. नूरजहां के बारे में यह कहा जाता है कि जहांगीर उसे अपनी रखैल बनाकर भी रख सकता है, लेकिन उसने इसपर अपनी हामी नहीं दी और जब जहांगीर ने उसे सभी रानियों से ऊपर का स्थान दिया, तब ही वह हरम में आने के लिए राजी हुई.

फ़्रेंकोइस बर्नियर जो एक चिकित्सक और यात्री थे उन्होंने भी अपनी किताब में लिखा है कि जहांगीर पर नूरजहां का असाधारण प्रभुत्व स्पष्ट देखा जाता सकता था. जहांगीर अपनी बीमारी के बाद अकसर हरम में रहते और नूरजहां का मुगल प्रशासन में दखल बढ़ता गया. जहांगीर शराब का आदी था और संभवत: नूरजहां ने उसकी इस आदत और अपने प्यार के बल पर मुगल सल्तनत पर एक तरह से कब्जा ही कर लिया. उसने कई और काम भी किए, जिसमें परोपकार और महल की सजावट शामिल है. नूरजहां की फारसी और अरबी भाषा पर अच्छी पकड़ थी और उन्होंने कविताएं भी लिखीं. नूरजहां ने पोशाक में भी परिवर्तन किया. उसने लंबे गाउन की जगह आरामदायक और अपेक्षाकृत हल्के कपड़ों को अपनी पोशाक में शामिल किया. वह दरबार में हल्के पर्दे में रहती थी, जहां से उसे देखा जा सकता था.
नूरजहां के पास बेहिसाब दौलत भी थी. उसके पास चुंगी वसूलने का भी अधिकार था, कई उपाधि और जागीरें उसके पास थीं. नहीं तो मां बनने की उम्मीद. वह 15 साल तक जहांगीर से विवाहित रहीं, लेकिन वह किसी बेटे को जन्म नहीं दी पाई, जो हिंदुस्तान का बादशाह बनता. हालांकि शाहजहां जो जहांगीर के बाद भारत का बादशाह बना उसकी प्रमुख बेगमों में नूरजहां की बेटी शामिल थी. वह हमेशा जहांगीर की सेवा में रहती थी और उससे बेपनाह मोहब्बत भी करती थीं. जहांगीर उसपर सबसे अधिक भरोसा करता था, जबकि नूरजहां से पहले जहांगीर की 300 पत्नियां थीं. नूरजहां ने विदेश से व्यापार भी किया और विदेशियों से उपहार भी लिए. नूरजहां को इत्र की आविष्कारक भी माना जाता है. उसने चित्रकारी भी की और वह एक बेहतरीन घुड़सवार भी थीं.
नूरजहां पर क्यों लगा सत्ता हथियाने का आरोप

नूरजहां के इश्क में जहांगीर पागल था. आम जनता यह मानती थी कि नूरजहां ने जहांगीर को अपने प्रेम में फंसाकर उससे सत्ता हथिया लिया. सर थॉमस रो (1615-19), एडवर्ड टेरी (1616-19), फ्रांसिस्को पेल्सर्ट (1620-27), पिएत्रो डेला वैले (1623-24), जॉन डी लाएट (1631) और पीटर मुंडी (1628-34) जैसे इतिहासकार और लेखकों ने नूरजहाँ द्वारा गठित गुट की चर्चा की बताया है कि किस तरह और किन कारणों से जहांगीर के शासनकाल में नूरजहां शासन की सर्वेसर्वा थीं. जीवन के 43वें साल में जब जहांगीर को नूरजहां का साथ मिला तो वह उसपर अत्यधिक भरोसा और प्रेम करने लगा. इसका फायदा उठाते हुए नूरजहां ने धीरे–धीरे उसका विश्वास पूरी तरह जीता और राज्य पर नियंत्रण हासिल कर लिया. नूरजहां ने अपने पिता एत्मादुद्दौला जो बूढ़े हो गए थे बावजूद इसके उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और अपनी मां को हरम की मुख्य संचालिका बनवाया. उसने अपने भाई आसफ खान को भी सरकार का प्रमुख हिस्सा बनवा लिया. उसकी बेटी अर्जुमंद बानू बेगम की शादी शाहजहां से करवाई थी. यह एक तरह से नूरजहां का गुट था, जिसकी जहांगीर के समय चलती थी और उन्हें मुगल शासन पर प्रभाव जमा रखा था. वह राज्य के कामकाज में शाहजहां और आसफ खान से सलाह तो करती थी, लेकिन निर्णय उसका अपना होता था. नूरजहां मुगल शासन की एकमात्र बेगम है, जिसकी इतनी ज्यादा चर्चा होती है. उसका हुस्न और उसकी समझदारी ने उसे मुगल साम्राज्य की मलिका बना दिया था.
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