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इथियोपिया के हेली गुब्बी में क्यों हुआ विस्फोट, क्या 12 हजार साल बाद जागा यह ज्वालामुखी बन सकता है काल!

Ethiopia Volcano Eruption Ash Cloud : अगर किसी सुसुप्त ज्वालामुखी में अचानक 12000 साल बाद विस्फोट हो, तो चिंता बढ़ती है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि एक सोया हुआ ज्वालामुखी फिर से जाग उठा है. इसके परिणामों पर विचार किया जाने लगता और अनुमान लगाया जाता है कि भविष्य में क्या हो सकता है. इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी जबसे जागा है भूवैज्ञानिक अलर्ट मोड में और प्रकृति के रहस्यों को समझने की कोशिश कर रहे हैं.

Ethiopia Volcano Eruption Ash Cloud : इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी में सोमवार 24 नवंबर को विस्फोट हुआ. इस विस्फोट के बाद यहां से राख और धुएं का गुबार फूटा. इसकी ऊंचाई 14-15 किलोमीटर तक थी. धुएं का यह गुबार वहां से 100-120 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से पश्चिमी देशों को क्राॅस करते हुए भारत तक पहुंचा और फिर चीन की ओर मुड़ गया. ज्वालामुखी के राख के इस गमन से कई देशों में विमान सेवाएं प्रभावित हुईं और लोगों के मन में यह आशंकाएं भी पनपी कि अगर यह राख दिल्ली तक पहुंचा तो प्रदूषण की समस्या कितना परेशान करेगी. इस तमाम बातों के साथ एक और बात भी थी, जिसपर बात हो रही है, वो है कि आखिर लगभग 12000 साल से सुसुप्त रहने के बाद यह ज्वालामुखी क्यों फूटा.

12000 साल बाद क्यों हुआ हेली गुब्बी ज्वालामुखी में विस्फोट?

ज्वालामुखी दो तरह के होते हैं- 1. सक्रिय ज्वालामुखी और 2. सुसुप्त ज्वालामुखी. सक्रिय ज्वालामुखी से हमेशा कुछ ना कुछ रिसता रहता है, जबकि सुसुप्त ज्वालामुखी शांत हो चुका होता है. हेली गुब्बी एक सुसुप्त हो चुका ज्वालामुखी था, लेकिन अब यह सक्रिय है. प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक नितीश प्रियदर्शी बताते हैं कि किसी भी सुसुप्त ज्वालामुखी में विस्फोट तभी होता है जब जमीन के नीचे दबाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से अचानक विस्फोट हो जाता है. जमीन के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल से भी कई बार विस्फोट होता है, क्योंकि जमीन के अंदर के दबाव को प्लेटों के बीच बने दरारों से बाहर आने का मौका मिल जाता है.अत्यधिक दबाव के कारण भी चट्टानों के पिघलने से मैग्गा बनता है और वह मैग्मा किसी जगह पर कमजोर सतह पाकर बाहर आना चाहता है, जिसकी वजह से भी सुसुप्त ज्वालामुखी जाग जाते हैं.

Ash Cloud
धुएं का गुबार

एविएशन इंडस्ट्री पर प्रभाव तो क्यों नहीं बढ़ा प्रदूषण?

हेली गुब्बी में जो विस्फोट हुआ उसकी वजह से राख और धुआं, जिसमें कई तरह की गैस शामिल है काफी ऊंचाई तक पहुंच कर हवा के साथ दूसरे देशों की ओर आईं. इस वजह से हवाई सेवा पर प्रभाव पड़ा क्योंकि राख के बादल यमन, ओमान, पाकिस्तान और भारत के कुछ हिस्सों सहित कई देशों में फैल गए. दरअसल

ज्वालामुखी की राख के कण जरूरी सेंसर को बंद कर सकते हैं, न्यूमेटिक्स को खराब कर सकते हैं, कॉकपिट विंडस्क्रीन को धुंधला बना सकते हैं. सबसे खतरनाक बात यह है कि इस राख से एयरक्राफ्ट इंजन के टर्बाइन ब्लेड को नुकसान हो सकता है. राख में मौजूद जहरीली गैसों की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.इस राख की वजह से जेट इंजन में आग लग सकती है. नितीश प्रियदर्शी बताते हैं कि ज्वालामुखी की राख से एविएशन इंडस्ट्री को तो बड़ा खतरा है, लेकिन इसकी वजह से वायुमंडल पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. चूंकि यह राख काफी ऊंचाई पर उड़ रहा है, इसलिए इसकी वजह से धरती पर रहने वाले लोगों को परेशानी तो नही हैं, लेकिन अगर यह राख नीचे आने लगी तो समस्या हो सकती है. उस स्थिति में आम आदमी को सांस लेने में समस्या होगी क्योंकि प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाएगा. इस धुएं में सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें भी शामिल हैं, इसलिए इनकी वजह से स्वास्थ्य संबंधित अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं.

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क्या हेली गुब्बी से अभी निकलेगा लावा?

हेली गुब्बी ज्वालामुखी पूरे 12000 साल बाद जागा है. इस ज्वालामुखी से अभी राख और धुएं का गुबार निकल रहा है. इसे देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि इस ज्वालामुखी से लावा भी निकल सकता है. चूंकि विस्फोट हुआ है, इसलिए चट्टानों का तरल स्वरूप मैग्गा लावा के रूप में बाहर निकल सकता है. नितीश प्रियदर्शी बताते हैं कि अगर लावा निकलता भी है, तो उसका प्रभाव बहुत बड़ा नहीं होगा और वह स्थानीय लोगों को ही प्रभावित कर पाएगा. इसकी वजह यह है कि यह एक सुसुप्त ज्वालामुखी था, जो दोबारा जागा है, इसलिए किसी बड़े परिणाम की आशंका कम है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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