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Bilawal Bhutto: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने आतंकवाद बढ़ने के पीछे अमेरिका की नीतियों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है. ये बयान तब आया है जब अमेरिका ने पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को खत्म करने के लिए कहा है. बिलावल भुट्टो इन दिनों एक प्रतिनिधि मंडल के साथ अमेरिका पहुंचे हुए हैं. उन्होंने अपने इसी दौरे के दौरान अमेरिका पर आरोप लगाए हैं.
यूएन महासचिव से की मुलाकात
बिलावल भुट्टो जरदारी भारत की तरह ही एक प्रतिनिधि मंडल लेकर अमेरिका पहुंचे हुए हैं. उनका उद्देश्य बीते दिनों हुए संघर्ष की जानकारी देना भी है. भुट्टो ने अमेरिका पहुंचने के बाद न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाकात की. इसके बाद वह वाशिंगटन पहुंचे. जहां उन्होंने अमेरिका की नीतियों को ही आतंकवादी गतिविधियों के पीछे बता दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. अभी तक भुट्टो की टिप्पणी के बाद अमेरिका का कोई बयान नहीं आया है.
अमेरिका के छोड़े हथियारों से आतंकी हुए मजबूत
भुट्टो ने वाशिंगटन में कहा कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए अमेरिका जिम्मेदार है. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. अमेरिका के अफगानिस्तान में छोड़े गए उपकरण व हथियार आतंकी समूहों के पास पहुंच गए हैं. इनके चलते वो मजबूत हुए हैं और आतंकी घटनाएं बढ़ गयी हैं.
अमेरिकी सांसद ने कहा जैश को खत्म करें
अमेरिका पहुंचे बिलावल भुट्टो को अमेरिका के सांसद ब्रैड शर्मन ने कुछ दिन पहले ही आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के कहा था. उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि वो आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए. खासतौर से जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों का खात्मा करे. जिसने 2002 में पत्रकार डैनियल पल की हत्या की थी. ब्रैड शर्मन ने एक्स पर भी अपने बात को पोस्ट किया था. उन्होंने लिखा था के पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई, अहमदिया समुदायों को बिना किसी हिंसा, डर और भेदभाव के अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रतिभाग करने की अनुमति मिलनी चाहिए. अमेरिकी सांसद ने ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में सीआईए की मदद करने वाले डॉ. शकील अफरीदी को रिहा करने की मांग भी की है. पाकिस्तान ने सीआईए की मदद करने पर उन्हें 33 साल की सजा दी है.
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौता किया था. इसमें उन्होंने मई 2021 तक अमेरिका की सेना को अफगानिस्तान से हटाने की बात कही थी. इसमें शर्त ये भी थी कि तालिबान आतंकियों को पनाह नहीं देगा. इसके बाद अमेरिका ने अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना जल्दबाजी में वापस बुला ली थी. इसके बाद वहां बाइडन राष्ट्रपति बन गए और उनकी सरकार ने सेना वापसी की समय सीमा को सितंबर 2021 तक बढ़ा दिया था. अमेरिका के इस फैसले के बाद तालिबान अफगानिस्तान में मजबूत हो गया और उसने काबुल पर कब्जा कर लिया था. इस पूरे वाकये के दौरान अफगानिस्तान में जबरदस्त अफरा-तफरी मच गई थी. इन सब उठापटक के बीच 26 अगस्त को अफगानिस्तान में आत्मघाती हमला हुआ था. इसमें 13 अमेरिकी सैनिक और 170 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए थे.
अमेरिका ने छोड़े थे घातक हथियार व वाहन
अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी के दौरान जल्दबाजी में वहां अपने आधुनिक सैन्य हथियारों और उपकरणों का बड़ा जखीरा छोड़ा था. इसमें 6.50 लाख हथियार तालिबान ने सेना से छीन लिए थे. इन्हीं हथियारों को ब्लैक मार्केट में भी बेचा गया. जिसे ISIS, TTP, ब्रिगेट 313 जैसे आतंकी समूहों ने खरीदा और आतंक फैलाने में इस्तेमाल किया. इन हथियारों में M6, M16 जैसे राइफल भी थीं.
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