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Shubhanshu Shukla: कौन हैं शुभांशु शुक्ला, जो बनेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय

Shubhanshu Shukla: Axiom-4 अंतरिक्ष मिशन में एक भारतीय स्पेश क्राफ्ट क्रू ड्रैगन को अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से डॉकिंग में मुख्य भूमिका निभाएगा. साथ ही भारत के लिए कई प्रयोग भी करेगा. ये मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) का साझा कार्यक्रम है.

Shubhanshu Shukla: 1984 के 41 साल बाद वो मौका आने वाला है, जब एक भारतीय अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे. वह पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में 14 दिन बिताकर कई सारे प्रयोग भी करेंगे. वह व्यक्ति हैं भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला. वह राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय हैं जो स्पेस में जाएंगे. इसके अलावा पहले भारतीय हैं जो कि अंतर्राष्ट्रीय स्पेस सेंटर (ISS) में रहेंगे. शुभांशु भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम के चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं.

भारतीय वायु सेना में पायलट

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के कॉम्बेट व टेस्ट पायलट हैं. उन्हें 10 जून को आईएसएस (ISS) के लिए उड़ान भरनी थी. लेकिन मौसम की खराबी के कारण उनकी उड़ान टाल दी गई. अब वह तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 11 जून को भारतीय समय के अनुसार शाम को 5.30 बजे कैनेडी स्पेश सेंटर से उड़ान भरेंगे. शुभांशु शुक्ला जिस अंतरिक्ष मिशन पर जा रहे हैं, उसे नाम दिया गया है Axiom-4. इसे इसे मिशन आकाश गंगा भी कहा जा रहा है. कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स के क्रू ड्रैगन C213 यान से अंतरिक्ष यात्री आईएएस जाएंगे. भारत सरकार ने इस मिशन के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. Ax-4 मिशन स्पेस एक्स का 53वां ड्रैगन मिशन है. इसमें शुंभाशु शुक्ला के अलावा तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी हैं. इस मिशन में अमेरिका के कमांडर पेगी व्हिटन, पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की, हंगरी के टिबोर कापू शामिल हैं.

एनडीए से IAF का हिस्सा बने

शुभांशु शुक्ला यूपी के लखनऊ में जन्में हैं. सिटी मांटेसरी स्कूल की अलीगंज शाखा से पढ़े हैं. 2003 में एनडीए के जरिए भारतीय वायु सेना में शामिल हुए. एनडीए में शामिल होने की उनकी कहानी भी बहुत रोचक है. इस परीक्षा को देने के लिए अपनी बड़ी बहन की शादी के बाद होने वाली विदाई से बिना बताए चले गए थे. उन्हें 2006 में कमीशन मिला. भारतीय वायु सेना के सभी लड़ाकू विमान उड़ाने का अनुभव है. उन्हें 2 हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है. वह फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट हैं. उन्हें एसयू-30, एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 सहित कई अन्य विमान उड़ाने का अनुभव है.

2019 में गगनयान मिशन के लिए चयन

शुभांशु शुक्ला को 2019 में गगन यान मिशन के लिया चुना गया था. इस मिशन की ट्रेनिंग के लिए हुए समझौते के तहत उन्हें 2021 में मॉस्को में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया. जहां उन्हें जीरो ग्रैविटी, स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन, इमरजेंसी प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग दी गई. इसके बाद इसरो के बंगलुरु स्थित ट्रेनिंग सेंटर में भी उनका प्रशिक्षण चलता रहा. 2024 में उन्हें Axiom-4 मिशन के लिए पायलट के रूप में चुना गया. इस मिशन को पहले 29 मई को लॉन्च होना था, लेकिन इसे टाल दिया गया था. इसके बाद 8 जून को मिशन की शुरुआत होनी थी लेकिन खराब मौसम और अंतरिक्ष यान की तैयारियों के कारण लॉन्चिंग की तिथि 10 जून की गई थी. लेकिन एक बार फिर खराब मौसम के कारण इस उड़ान को टालकर 11 जून कर दिया गया है.

क्या करेंगे अंतरिक्ष स्टेशन में

शुभांशु शुक्ला को Axiom-4 मिशन में पायलट के रूप में चुना गया है. जबकि अमेरिका के पेगी व्हिटन मिशन कमांडर, पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की, हंगरी के टिबोर कापू मिशन विशेषज्ञ के रूप में शामिल हैं. शुभांशु आईएसएस (ISS) पर सात प्रयोग करेंगे. इसमें पौधों के बीज और मानव शरीर पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) का क्या असर होगा, मुख्य है. इसरो (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की मदद से अंतरिक्ष में मेथी ऑर मूंग की अंकुरण प्रक्रिया को देखा है. धरती पर उसे वापस लाकर खेती करना शामिल है. इसका उद्देश्य लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए पोषण और जीवन समर्थन प्रणाली का विकास करना है. इसके अलावा नासा के साथ 5 प्रयोग में वोइसरो (ISRO) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की मदद से अंतरिक्ष में मेथी ऑर मूंग की अंकुरण प्रक्रिया को देखा है. धरती पर उसे वापस लाकर खेती करना शामिल है. इसका उद्देश्य लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए पोषण और जीवन समर्थन प्रणाली का विकास करना है. इसके अलावा नासा के साथ 5 प्रयोग में वो शामिल हैं. शामिल हैं.

बैकअप में ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर तैयार

शुभांशु शुक्ला के अलावा भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर को इस अभियान के लिए प्रशिक्षित किया गया है. उन्हें शुभांशु शुक्ला के बैकअप के रूप में रखा गया है. किसी अनहोनी के चलते शुभांशु के Axiom-4 मिशन में शामिल न होने पर प्रशांत नायर को भेजा जाएगा. 1984 में राकेश शर्मा तत्कालीन सोवियत संघ के मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे. उन्होंने वहां से भारत को देखते हुए सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा गाया था.

मस्क और ट्रंप के विवाद से संकट में था मिशन

एलन मस्क और ट्रंप के विवाद के कारण Axiom-4 मिशन पर संकट के बादल थे. लेकिन
मस्क ने इस महत्वपूर्ण मिशन को विवाद में नहीं घसीटा. मस्क की कंपनी के रॉकेट से ही ये अंतरिक्ष यात्रा होगी. इससे पहले मस्क की कंपनी के अंतरिक्ष यान से ही अंतर्राट्रीय स्पेस स्टेशन पर फंसी सुनीता विलियम्स और उनके साथी धरती पर वापस आए थे.

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