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Alaska : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह घोषणा की है कि वह अगले सप्ताह अलास्का में रूस के राष्ट्रपति ब्लामिदिर पुतिन से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात कई मायनों में खास होने वाली हैं, क्योंकि एक ओर तो ट्रंप भारत सहित कई अन्य देशों में रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध का भी कोई स्थायी समाधान अबतक निकलता दिख नहीं रहा है और यह युद्ध लगातार जारी है. ट्रंप की घोषणा के बाद रूस ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है कि पुतिन और ट्रंप की अलास्का में मुलाकात हो रही है.
ट्रंप और पुतिन के मुलाकात के मायने क्या हो सकते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात वर्तमान वैश्विक स्थिति को देखते हुए बात ही खास है. ट्रंप इस बैठक के दौरान यह कोशिश करेंगे कि रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो जाए, लेकिन पुतिन उनकी बातों से कितना सहमत होंगे यह बता पाना संभव नहीं है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुतिन रूसी हितों के खिलाफ किसी भी बात पर ट्रंप से सहमत होंगे. यही वजह है कि विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि ट्रंप और पुतिन के बीच बातचीत युद्ध रोकने की दिशा में एक कदम हो सकती है, युद्ध का स्थायी समाधान नहीं. रूस के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पहले ही यह कह दिया है कि अगर युद्ध समाप्ति पर कोई भी बातचीत होगी तो उसमें यूक्रेन का रहना अनिवार्य है, अन्यथा वह किसी भी समझौते को नहीं मानेगा. इस लिहाज से पुतिन और ट्रंप की बैठक बेनतीजा हो सकती है इसमें कोई दो राय नहीं है, क्योंकि अगर यूक्रेन पर कोई एकतरफा फैसला होता है,तो जेलेंस्की उसे मानने को तैयार नहीं होंगे.
क्या चीन और भारत ट्रंप के टैरिफ के लिए साथ आ सकते हैं
प्रधानमंत्री मोदी अगस्त के अंतिम सप्ताह में एससीओ समिट में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. जहां उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होगी. चूंकि अमेरिका ने भारत पर टैरिफ का अटैक कर दिया है और वह अपनी मनमानी दिखा रहा है, भारत चीन के साथ अपने ठंडे रिश्ते को नई जान देने की कोशिश करेगा, ताकि ट्रंप के अविवेकपूर्ण निर्णय का मुकाबला किया जा सके. अमेरिका ने चीन को भी टैरिफ की धमकी दी है, हालांकि चीन के आगे उसकी ज्यादा चलती नहीं है, इसलिए उसने चीन को मोहलत दे रखा है. अमेरिका का कहना है कि चीन के साथ उसका व्यापार घटा बहुत अधिक है. अमेरिका का आरोप है कि चीन सरकार अपने उद्योगों खासकर स्टील, एल्यूमिनियम, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक व्हीकल को भारी सब्सिडी देती है. इससे चीनी सामान वैश्विक बाजार में सस्ता हो जाता है, और अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है. इसी वजह से ट्रंप चीन पर भी टैरिफ लगाना चाहते हैं. इस लिहाज से भारत और चीन की परेशानी एक ही तरह की है, ऐसे में अगर दोनों देश साथ आते हैं तो अमेरिका को परेशानी हो सकती है क्योंकि दोनों ही देशों से अमेरिका बड़ी मात्रा में आयात करता है. चीनी राजदूत ने भी भारत पर 25% टैरिफ की तीखी निंदा की है.
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अमेरिका का चीन और भारत से आयात कितना है?
Wall Street Journal के अनुसार 2024 में अमेरिका ने चीन से लगभग 438.9 अरब डालर का आयात किया, जो उसके कुल आयात का लगभग 13.3% था. प्रमुख आयातित वस्तुओं में स्मार्टफोन, कंप्यूटर, खिलौने और वीडियो गेम कंसोल शामिल हैं, जिनकी हिस्सेदारी आयात का लगभग 55.5% है. वहीं भारत से 2024 में अमेरिका ने लगभग 91.23 अरब डालर मूल्य के सामान का आयात किया. जिसमें शामिल थे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण , फार्मास्यूटिकल्स , कीमती पत्थर एवं मशीनरी शामिल है.
टैरिफ के मुद्दे पर साथ-साथ हैं भारत और रूस
यूक्रेन में चल रहे युद्ध और भारत पर अमेरिकी टैरिफ के बाद विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को फोन पर बातचीत की. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापार, आर्थिक और निवेश सहयोग पर चर्चा की. अमेरिका ने भारत पर जो 25% टैरिफ लगाया है, उसे 50% करने के पीछे रूस से तेल खरीदना ही वजह है. भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मास्को गए हुए थे और उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर वहां चर्चा की है, उन्होंने ने ही यह बताया है कि पुतिन भारत की यात्रा करने वाले हैं, जिससे यह साफ है कि अमेरिकी टैरिफ का रूस ना सिर्फ विरोध कर रहा है, बल्कि वह इस मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा है.
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