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झारखंड की उपराजधानी दुमका जिले में सोमवार (30 अक्टूबर) को राज्य के सबसे बड़े पुल मयूराक्षी नदी सेतु का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्घाटन किया. इसके पहले भारी संख्या में लोग इस पुल के जरिए नदी के दोनों किनारों से कार्यक्रम में पहुंचे.
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दुमका जिले के कुमराबाद के पास मयूराक्षी नदी पर उच्चस्तरीय सेतु का निर्माण हुआ है. यह पुल 2.34 किलोमीटर लंबा है, जो झारखंड का सबसे लंबा सेतु है. इसके उद्घाटन समारोह का आयोजन दुमका के मकरमपुर में हुआ.
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, राजमहल के सांसद विजय हांसदा, शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन समेत कई नेता मौजूद थे.
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पुल पर फूल-पत्तियों से विशाल पोस्टर बनाया गया था. इस पर फूलों से हेमंत सोरेन की प्रतिमा उकेरी गई थी. उस पर झारखंड सरकार का लोगो भी बना था. दूर-दूर से लोग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुनने के लिए यहां पहुंचे थे.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्वागत में पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाए गए. ढोल, नगाड़े और मांदर की थाप के साथ सीएम का स्वागत हुआ. नदी पर बने पुल के दोनों ओर से महिला और पुरुष कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पैदल ही पहुंचे थे.
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तस्वीरों में स्पष्ट दिख रहा है कि पुल पर महिलाएं अपने बच्चों को लेकर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चली आ रहीं हैं. कुछ लोगों ने तेज धूप की भी परवाह नहीं की. वहीं, कुछ महिलाएं छाता ओढ़कर आ रहीं हैं.
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इस पुल की लागत 198.11 करोड़ रुपए आई है. इसका निर्माण स्टेट हाइवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड (शाज) ने किया है. पुल दुमका सदर प्रखंड के कुमड़ाबाद व मसलिया प्रखंड के मकरमपुर को जोड़ता है. पुल का निर्माण पांच साल से भी कम समय में हुआ है. वर्ष 2018 में इस पुल की आधारशिला रखी गई थी.
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मकरमपुर सहित कई गांव हैं, जो दुमका शहर से सटे थे, लेकिन नदी की वजह से वे यहां आ नहीं पा रहे थे. मसानजोर डैम बना, तो बीच का इलाका डूब गया. इसकी वजह से मकरमपुर की आधी आबादी डैम के डूब क्षेत्र के उस पार रह गई. पुल बन जाने से मसानजोर डैम के विस्थापित अब अपने सगे-संबंधियों से आसानी से मिलने आ-जा सकेंगे.