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Jharkhand Foundation Day : पर्यटकों का मन मोहते पलामू के किले, डैम व झरने, देखिए खूबसूरत तस्वीरें

15 नवंबर को झारखंड 22 साल का हो जायेगा. वक्त के साथ पर्यटन की संभावनाएं बढ़ी हैं. पिछले पांच वर्षों में पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. लोग अब वीकेंड पर अपने परिवार के साथ बाहर जाना पसंद कर रहे हैं. पलामू में भी कई खूसबूसत डैम व झरने हैं, जो मन को मोह लेते हैं.

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Jharkhand Foundation Day : मेदिनीनगर से 16 किमी दूरी पर रामगढ़ प्रखंड की चुनगा बासडीह पंचायत में चूना पत्थर के पहाड़ से गिरने वाला एक छोटा झरना है चुनहटवा डैम झरना. कोई भी सरकारी योजना के बिना ही यह स्थल धीरे-धीरे स्थानीय पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है. सुगमता से पहुंच, कम दूरी, स्थानीय लोगों का मिलनसार स्वभाव. शांत वातावरण इसे खास बनाता है.

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पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड के रानी ताल डैम इन दिनों शहर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मेदिनीनगर शहर से सड़क मार्ग से यहां आधा घंटे में पहुंचा जा सकता है. चारों तरफ मनोरम प्राकृतिक छटा के बीच यह डैम काफी बड़ा है. इसके तट भी पेड़ों से छाये हुए हैं. जहां पिकनिक मानना काफी आनंददायक होता है. रानी ताल डैम से सूर्यास्त का दृश्य बेहद रोमांचक होता है, जिसे हर कोई देखना चाहता है. यहां कई वीडियो एल्बम की शूटिंग भी हुई है.

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मेदिनीनगर से करीब 12 किमी दूरी पर चैनपुर प्रखंड के बभंडी में तालाब के बीचों-बीच स्थित इस मंदिर का निर्माण रानी सुभद्रा कुंवर ने अपने पति राजा राधाकृष्ण सिंह की याद में 1930 में कराया था. समय की मार से जब यह मंदिर काफी जर्जर हो गया था तो 2018 में तत्कालीन रानी के वंशज प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ रघुवंश नारायण सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया. चारों तरफ जल, जल में मछलियां. शांत वातावरण इसे एक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाता है. शहर से और आसपास से भी लोग यहां पूजा करने व घूमने आते हैं. इसके विकास के लिए पर्यटन विभाग से कई बार पत्राचार किया गया है, पर अभी तक कोई सकारात्मक पहल की गयी है.

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मेदिनीनगर शहर से कोयल पुल पार कर शाहपुर पहुंचते ही ऐतिहासिक रानी किला या चलानी किला पर्यटकों का स्वागत करता है. शाहपुर किले का निर्माण 1770 के दशक में तत्कालीन चेरोवंशीय राजा गोपाल राय ने कराया था. इतिहासकार मानते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत ने चेरो राजवंश की रानी चंद्रावती कुंवर को इसी किले में निर्वासित कर रखा था, तभी इसका नाम रानी किला पड़ा. किंवदंती यह भी है कि पलामू किला से रानी किला तक एक विशाल सुरंग भी है. यह किला अपनी बनावट से लोगों को आकर्षित तो करती ही है, पर रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति बिगड़ती जा रही है. राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता के बाद भी यह किला अभी भी बेहद खूबसूरत है. लोग शाम का समय यहां बिता सकते हैं.

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शहर से अधिक से अधिक आधा घंटा की दूरी पर है चैनपुर राजाओं का बनाया हुआ किला और जगन्नाथ मंदिर. एक अनुमान के मुताबिक यह किला 1590 का बना हुआ है. काफी दिनों तक यह किला वीरान रहने के बाद अभी राज परिवार के विवेक भवानी सिंह इसका मरम्मत करवाकर इसी में रहने लगे हैं. यहां के मंदिर से जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है. उस समय यहां काफी चहल-पहल रहती है. आम दिनों में कोई घूमने जाये तो भी आवासीय परिसर को छोड़ घूमने की इजाजत दी जाती है.

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मेदिनीनगर शहर से करीब 33 किमी दूर पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड में 1980 में बन कर तैयार हुआ मलय डैम (कठौतिया डैम). 2021-22 में पलामू जिला प्रशासन की पहल से यहां पर्यटन को बढ़ावा दिया गया. बीते चार नवंबर को मुख्यमंत्री के पलामू दौरे के क्रम में उन्होंने मलय डैम पर्यटकीय विकास कार्य का उद्घाटन भी किया. इसके तहत यहां जहां डैम में नौका विहार, पिकनिक, पार्क बनाये गए हैं. यहां सुरक्षा के इंतजाम हैं. लोग शूटिंग भी करते हैं.

रिपोर्ट : सैकत चटर्जी, पलामू

Guru Swarup Mishra
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मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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