World Boxing Championship : रविवार को लिवरपुल में संपन्न हुई वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप, 2025 में भारत ने दो स्वर्ण सहित कुल चार पदकों के साथ अपना अभियान समाप्त किया. दो स्वर्ण समेत चारों पदक हमारी महिला मुक्केबाजों ने जीते हैं. जैस्मिन लंबोरिया 57 किलोग्राम वर्ग में और मीनाक्षी हुड्डा 48 किलोग्राम वर्ग में विश्व चैंपियन बनी हैं, जबकि नूपुर श्योराण ने 80 किलोग्राम में रजत पदक और ओलिंपियन पूजा रानी ने 80 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता. चौबीस वर्षीया जैस्मिन ने 57 किलोग्राम के फाइनल में पोलैंड की शीर्ष वरीयता प्राप्त और ओलिंपिक पदक (रजत) विजेता जूलिया स्जेरेमेटा को 4-1 से हराकर चौंका दिया.
पेरिस ओलिंपिक में जल्दी ही बाहर हो जाने वाली जैस्मिन ने सालभर तक कड़ी मेहनत की और इस चैंपियनशिप में फाइनल तक पहुंचने के लिए चार बार 5-0 की एकतरफा जीत हासिल की, जो उसकी प्रतिभा-क्षमता के बारे में बताती है. जैस्मिन लंबोरिया की ही उम्र की मीनाक्षी हुड्डा ने 48 किलोग्राम (गैर ओलिंपिक कैटेगरी) के फाइनल में पेरिस ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता कजाखस्तान की नाजिम किजायबाय को 4-1 से हराकर खिताब जीता. जैस्मिन को मुक्केबाजी विरासत में मिली है और वह देश के महान मुक्केबाज हवा सिंह के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. जबकि मीनाक्षी हुड्डा जिस परिवार से आती हैं, उसका खेलों से दूर-दूर तक संबंध नहीं रहा.
जैस्मिन और मीनाक्षी की जीत के बाद अब तक कुल 10 भारतीय महिला मुक्केबाज वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी हैं. इनके द्वारा कुल जीते गये स्वर्ण पदकों की संख्या सोलह है. इनमें से सर्वाधिक छह गोल्ड लवलीना ने और दो गोल्ड निकहत ने जीते हैं. भारत ने इस बार की चैंपियनशिप में कुल 20 मुक्केबाजों को भेजा था, जिनमें ओलिंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन और निकहत जरीन भी शामिल थीं. पेरिस, 2024 के बाद दोनों पहली बार रिंग में उतरी थीं. लेकिन बोरगोहेन 75 किलोग्राम (गैर ओलिंपिक वर्ग) के दूसरे राउंड में बाहर हो गयीं, जबकि निकहत को क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा.
महिला मुक्केबाजों की शानदार सफलता के उलट पुरुष मुक्केबाजों के लिए यह चैंपियनशिप निराशाजनक रही और दस सदस्यीय पुरुष दलों को कोई मेडल नहीं मिला. वर्ष 2013 के बाद यह पहला मौका है, जब भारतीय पुरुष मुक्केबाज खाली हाथ रहे. जबकि 2023 में ताशकंद में हुई वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत ने पुरुष वर्ग में तीन कांस्य पदक जीते थे.

