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व्यवस्था बने प्राथमिकता

रणनीति जो भी बने या अभी जांच और उपचार के लिए जिस स्तर पर इंतजाम की जरूरत है, उसे देखते हुए एक बड़े निवेश की दरकार है.

कोरोना वायरस का कहर गंभीर होता जा रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के ताजा शोध के अनुसार, सामुदायिक स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण की आशंका बहुत बढ़ गयी है. इसमें 20 दिन से लेकर कुछ महीने लग सकते हैं. अभी तक देश के लगभग सभी मामले यात्राओं से संबंधित हैं, लेकिन अगर महानगरों में संक्रमित देशों से यात्रा कर लौटे लोगों या ऐसे लोगों के संपर्क में आये व्यक्तियों ने अपने को अलग-थलग नहीं रखा, तो फिर वायरस बड़ी आबादी को शिकार बना सकता है.

अभी तक जो भी उपाय किये गये हैं, उन्हें बहुत सघन करने की जरूरत है. यह हिदायत बार-बार देने और उस पर अमल की जरूरत है कि लोग खुद को घरों की दीवारों के भीतर बंद रखें. केवल ऐसे लोग ही बाहर जायें, जो किसी जरूरी सेवा या काम से जुड़े हुए हैं.

इसे लापरवाही कहें या मजबूरी, अब भी बहुत से लोग लॉकडाउन, यात्राओं और सुरक्षित रहने के निर्देशों के पालन में लापरवाही बरत रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारों तथा प्रशासनिक तंत्र को चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझावों पर कड़ाई से अमल कराना चाहिए. परिषद की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आशापूर्ण स्थिति में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बंगलुरू में लाखों लोगों में संक्रमण के लक्षण दिख सकते हैं और ऐसा फरवरी से लेकर आगामी दो सौ दिनों में हो सकता है.

निराशाजनक स्थिति में संक्रमित की संख्या कई गुना अधिक हो सकती है और ऐसा फरवरी से लेकर अगले पचास दिनों में हो सकता है. इसका मतलब है कि वायरस का व्यापक प्रसार किसी भी समय हो सकता है. ऐसे में, जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है, केवल लॉकडाउन और बंदी से रोकथाम संभव नहीं होगी. इसके लिए देशभर में मेडिकल व्यवस्था को समुचित संसाधनों के साथ तत्पर रखने की आवश्यकता है.

उम्मीद जतायी जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में बने स्पेशल टास्क फोर्स की ओर से जल्दी ही तात्कालिक और दीर्घकालिक रणनीति की घोषणा होगी. रणनीति जो भी बने या अभी जांच और उपचार के लिए जिस स्तर पर इंतजाम की जरूरत है, उसे देखते हुए एक बड़े निवेश की दरकार है. केंद्र और राज्य सरकारों को परस्पर बातचीत कर तथा औद्योगिक व कारोबारी समूहों को साथ लेकर एक आर्थिक पैकेज देने पर विचार करना चाहिए.

आज भी, और यदि संक्रमण को जल्दी नियंत्रित कर लिया गया, तब भी, ऐसी पहलें आवश्यक हैं क्योंकि इस तरह के वायरस हमलों पर लंबी कोशिश के बाद ही स्थायी रूप से काबू पाया जा सकता है. चीन, अमेरिका और यूरोप के साथ विभिन्न देशों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए अपने संसाधन झोंक दिये हैं तथा इसके आर्थिक प्रभाव को भी सीमित करने की भी जुगत लगा रहे हैं. ऐसा हमारे यहां भी तुरंत किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से यह उम्मीद बढ़ी है.

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